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जौनपुर का माधोपट्टी गांव जहां लगभग 75 घरों में 51 आईएस/पीसीएस करते हैं निवास

 जौनपुर का माधोपट्टी गांव जहां लगभग 75 घरों में 51 आईएस/पीसीएस करते हैं निवास




देश के कोने कोने में फैले हैं इस गांव के आईएएस अफसर गांव में मां सरस्वती का है सीधा बास


गांव के चार सगे भाईयो ने आईएएस बनकर जो इतिहास रचा है वह आज भी भारत में कीर्तिमान है।


जौनपुर जिले के नगर से सटे माधोपट्टी गांव को साक्षात मां सरस्वती का आर्शिवाद प्राप्त है। भारत के नक्से में इस गांव की पहचान अलग है। पूरे देश के हर रैंक है प्रोफाईल के अधिकारी इस गांव का नाम बड़े ही अदब से लेते है। क्यो कि इस गांव के मिट्टी ने दिया है 40 से अधिक आलाधिकारी करीब 75 घरो के गांव या मजरे से 51 आईएएस आईएफएस पीसीएस या पीपीएस अधिकारी निकलना कोई मामूली बात नही होती। कमाल यह है कि जो लोग किन्ही कारणो से प्रशासनिक सेवाओ में नही गये वह लोग या तो इसरो में है या भाभा काई मनीला में वल्र्ड बैंक मे अफसर है तो किसी राज्य का सूचना निदेशक है। यही वजह है जानकार इसे विद्या की देवी सरस्वती का आर्शिवाद मानते है। लेकिन सबके बावजूद भी इस गांव में मूलभूत सुविधाओ से वंचित है गांव जहां यह गांव दोनों तरफ से रेलवे ट्रैक से बंधा हुआ है तो इस गांव में आज तक कोई बड़ी कोचिंग संस्थान नहीं है ना तो कोई बात करें मूलभूत सुविधाओं इस आइएएस की खेती कहे जाने वाले गांव में है,इस गांव में ना तो स्वास्थ्य चिकित्सा के लिए न तो कोई अस्पताल है न तो शिक्षा की व्यवस्था है आई ले चलते हैं आपको इस आइएएस वाले गांव माधव पट्टी में, इस दर्जनों आईएएस पीसीएस वाले गांव में जो जहां सेवाएं दिया वहीं का होकर रह गया वापस अपने इस जमीन पर लौटकर नहीं आया इस गांव की गलियां पूरी तरह से वीरान पड़ी हुई है मनु इस गांव में कोई रहता ही नहीं।

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