बाढ़ समस्या के समाधान की मांग को लेकर व्यापार मंडल संग तमाम संगठन एकजुट होकर एसडीएम को दिया ज्ञापन
बाढ़ समस्या के समाधान की मांग को लेकर व्यापार मंडल संग तमाम संगठन एकजुट होकर एसडीएम को दिया ज्ञापन
@डीपी मिश्रा
पलियाकलां(खीरी) तहसील श्रेत्र में बाढ़ की विकराल समस्या के निस्तारण हेतु व्यापार मंडल के साथ दर्जनों संगठनों ने संयुक्त रूप से एकत्र होकर मुख्यमंत्री से संबोधित एक ज्ञापन एसडीएम कार्तिकेय सिंह को सौपा था जिसमें बाढ़ से निजात पाने की प्रमुख मांगे की गई थी.....
1- विगत 8 जुलाई 2024 आज 18 दिन बीतने के बाद पलिया कलां-भीरा के मध्य अतरिया रेल क्रासिंग के पास अवरूद्ध भारतीय राष्ट्रीय राज्य मार्ग प्राधिकरण (छभ्।प्) राज मार्ग सं0 एन0एच0-731 को सार्वजनिक यातायात के साधनो जैसे सवारी बसो एवं मालवाहक वाहनो के लिए अविलम्ब खुलवाये जाने का निर्देश स्थानीय प्रशासन को दिया जाये क्योंकि उक्त मार्ग पर भारतीय राष्ट्रीय राज्य मार्ग प्राधिकरण (छभ्।प्) कथित रूप से एन0ओ0सी0 न दिये जाने के कारण 18 दिनों से उक्त मार्ग अवरूद्ध है। सार्वजनिक यातायात प्रारम्भ होने से लाखो-लाख नागरिको, ग्रामवासियो को जहां एक ओर सार्वजनिक आवागमन की सुविधा मिल सकेगी वहीं दूसरी ओर रोजमर्रा की आवश्यक सेवाओ तथा वस्तुओ की किल्लत न हो सके।
2- पलिया कलां-भीरा राजमार्ग एन0एच0-731 पर विगत तीन वर्षों से बन रही छोटी पुलिया को भारतीय राष्ट्रीय राज्य मार्ग प्राधिकरण (छभ्।प्) के अधिकारियो द्वारा तीन वर्षो से अधिक समय बीत जाने के उपरान्त भी आज तक निर्माण कार्य पूरा नही किया जा सका है, उक्त स्थल पर पुलिया का निर्माण पूरा न हो पाने की वजह से बाढ़ का कटान हुआ है पूर्व में उक्त पुलिया निर्माण स्थल पर अनको सडक दुर्घटनाएं हो चुकी है जिसमें अनेको सवारियां काल के गाल में समा चुकी है। तीन साल से अधिक समय में भी निर्माण कार्य न पूरा करने वाली भारतीय राष्ट्रीय राज्य मार्ग प्राधिकरण (छभ्।प्) के दोषी अधिकारियो के कडी व दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए उनको सेवा मुक्त करने की कार्यवाही यथोचित स्तर से करवायी जाये।
3- पलिया-भीरा मार्ग पर भारतीय राष्ट्रीय राज्य मार्ग प्राधिकरण (छभ्।प्) द्वारा शारदा पुल से अतरिया रेलवे क्रासिंग होते हुए पलिया कलां शहर तक शारदा नदी के पुल की ऊँचाई तक सड़क का निर्माण कराया जाये तथा सड़क के दोनो तरफ पत्थर की पिचिंग करायी जाये ताकि प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ से सडक मार्ग प्रभावित न हो (ढखेरवा से बहराईच जाने वाले हाइवे की तरफ)
4- व्यापक जनहित में उ0प्र0 सिचाई विभाग तथा बाढ खण्ड पूरनपुर-पीलीभीत तथा बाढ खण्ड खीरी-सीतापुर, बाढ खण्ड घाघरा-सुहेली को आवश्यक रूप से निर्देशित किया जाये कि वह बाढ आने अथवा बाढ नियंत्रण के लिए केवल बनवसा बैराज के विगत 40-50 वर्षों के वाटर डिस्चार्ज को ही आधार न बनाये अर्थात केवल बनवसा बैराज के डिस्चार्ज वाटर का ही सर्वे न करे बल्कि इसके साथ-साथ नेपाल राष्ट्र के महाकाली अंचल की दर्जनो नदियो/नाला जैसे बनारा (बनरा), चैधर, काण्डला, पथरिया, सुन्दरा, बन्द, कनकी, कर्णाली, डोंडा (मछली), मोहाना, गोदावरी आदि नदियो से जिसको नेपाल सरकार द्वारा साइफन सिस्टम के माध्यम से लगभग 3 लाख क्यूसेक पानी को चैधर नदी में (जिसको भारत में बमनी नदी के नाम से जाना जाता है) गिराकर पीलीभीत-खीरी सीमा के निकट ट्रांस शारदा क्षेत्र में (खजुरिया-गोविन्द नगर ग्राम से पहले) शारदा नदी मंे गिरा दिया जाता है उक्त नेपाली नदियो के आने वालीे पानी का भी सर्वे कराया जाये। ज्ञात हो कि रेल विभाग द्वारा हाल में रूड़की इन्स्टीट्यूट से इस वर्ष बाढ़ एवं शारदा में आने वाली नदियो के पानी का सर्वे कराया जा रहा है। यदि नेपाल राष्ट्र की नदियो का गिरने वाले पानी की नदियो का सर्वे नही कराया गया तो राज्य सरकार व केन्द्र सरकार द्वारा बनायी जाने वाली बाढ नियंत्रण की करोड़ा-अरबो रूपयो की योजनाएं विफल हो जायेगी और जिस प्रकार ट्रांस शारदा क्षेत्र के तमाम ग्रामो का अस्तित्व शारदा नदी में समा कर समाप्त हो चुका है। ठीक उसी प्रकार आने वाले समय में पलिया कलां, सम्पूर्णानगर, खजुरिया, महंगापुर, भीरा, निघासन सहित अनुसूचित जनजाति थारू ग्रामो सहित दुधवा नेशनल पार्क का अस्तित्व भी समाप्त होने की सम्भावना पूर्ण रूप से बनी हुई है इसमें कोई संशय नही है।
5- व्यापक जनहित मंे भीरा-पलिया कलंा के मध्य शारदा नदी के पुल के दोनो तरफ 5-5 किमी0 की दूरी तक वर्षों से जमी गाद (बालू/सिल्ट)जो कि पुल पर बने खतरे के निशान के समानान्तर पहुंच चुकी है की सफाई डिस्लिटिंग कराई जाये। साथ ही शारदा नदी के पुल के दोनो तरफ 5-5 किमी0 तक नदी के दोनो किनारो पर पक्के तटबन्ध का निर्माण कराया जाये ताकि नदी का रास्ता साफ बना रहे और शारदा नदी अपनी मूल धारा में बहती रहे और प्रत्येक वर्ष बाढ की तबाही क्षेत्र को झेलनी न पड़े।
6- राज्य में स्थित रेल मार्ग की सुरक्षा करने का दायित्व केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार का होता है। गोण्डा-मैलानी रेल प्रखण्ड पर स्थित पलिया कलंा-भीरा रेल लाईन प्रत्येक वर्ष शारदा नदी की बाढ के कटान के कारण कट जाती है। राज्य सरकार व्यापक जनहित में केन्द्र सरकार से समन्वय स्थापित कर भीरा-पलिया कलां रेल मार्ग के पश्चिम दिशा में एक कंक्रीट युक्त दीवार का निर्माण कराये जाकि उक्त भीरा-पलिया कलंा रेल मार्ग शारदा नदी के बाढ़/कटान से प्रभावित न हो और आवागमन सुचारू रूप से चलता रहे।
7- एन0एच0-731 पर भीरा-पलिया के मध्य अतरिया रेलवे क्रासिंग व शारदा पुल के मध्य बाढ ग्रस्त क्षेत्र होने के कारण उक्त सड़क मार्ग का आर0सी0सी0 (कंक्रीट युक्त सीमेंटेड सडक) का निर्माण कराया जाये।
8- पलिया तहसील क्षेत्र में बाढ के कारण किसानो की हजारो हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि कट गयी है और उसमें खड़ी हुई फसले पूरी तरह से नष्ट हो गयी है। शासन द्वारा प्रति एकड़ 7 से 8 हजार रूपये का मुआवजा तबाह हुई फसलो के एवज में दिया जाता है जो कि नाकाफी है, उक्त फसल मुआवजे की धनराशि कम से कम 50 हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से पीडित किसानो को दिया जाये ताकि किसानो को फसल की लागत धनराशि प्राप्त हो सके इसके अतिरिक्त बजाज शुगर मिल पलिया द्वारा किसानो का बकाया गन्ना भुगतान करने में घोर लापरवाही की जा रही है। भुगतान न करने के जिम्मेदार बजाज शुगर मिल के प्रबन्ध तंत्र सहित जनपद लखीमपुर खीरी के जिला गन्ना अधिकारी के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए किसानो को उनका गन्ना भुगतान अविलम्ब कराया जाये।
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