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दिवाली के बाद अब शादियों के सीजन पर टिकी व्यापारियों की निगाहें- बृजेश गोयल

 बैंड - बाजा - बारात

दिवाली के बाद अब शादियों के सीजन पर टिकी व्यापारियों की निगाहें- बृजेश गोयल



दीपक कुमार त्यागी / हस्तक्षेप 

स्वतंत्र पत्रकार


देश में नवंबर-दिसंबर 2024 में 45 लाख शादियों से 5 लाख करोड़ रुपये के व्यापार की उम्मीद - CTI


दिल्ली में 4 लाख शादियों से  1 लाख करोड़ रुपये का कारोबार का अनुमान - CTI


दिल्ली। 3 अक्टूबर को दिल्ली और देश में नवरात्रि की शुरुआत के साथ त्यौंहारी सीजन शुरू हुआ था ,

दिवाली के त्यौहारों में अच्छा व्यापार करने के बाद अब देश भर के व्यापारी शादियों के आगामी सीजन में बड़े व्यापार की उम्मीद के साथ तैयारियों में जुट गये हैं।


शादियों का सीजन 12 नवंबर प्रबोधिनी एकादशी से शुरू हो रहा है जो कि 16 दिसंबर तक चलेगा।


*व्यापारियों और उद्यमियों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री सीटीआई  के अनुसार*


इस बार शादियों के सीजन में देश भर में 45 लाख शादियां होने का अनुमान है जिससे कि रिटेल क्षेत्र, जिसमें सामान और सेवाएं दोनों शामिल हैं में लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होने की संभावना है, 

पिछले साल इस सीजन में 35 लाख शादियों से कुल 4 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था।

 इस साल शुभ विवाह मुहूर्त की तिथियों में वृद्धि के कारण व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है।


 वर्ष 2023 में 11 शुभ मुहूर्त थे, जबकि इस वर्ष 18 मुहूर्त होने से व्यापार को और अधिक बढ़ावा मिलने की संभावना है। 


सीटीआई महासचिव गुरमीत अरोड़ा और विष्णु भार्गव ने बताया कि दिल्ली में अनुमानित 4 लाख शादियों से इस सीजन में 1 लाख करोड़ रुपये के व्यापार की संभावना है।


सीटीआई के अनुसार इस साल के शादी सीजन में नवंबर में शुभ तिथियां 12, 13, 17, 18, 22, 23, 25, 26, 28 और 29 हैं, जबकि दिसंबर में ये तिथियां 4, 5, 9, 10, 11, 14, 15 और 16 हैं। इसके बाद लगभग एक महीने तक शादियों के सीजन में विराम होगा और 2025 के मध्य जनवरी से मार्च तक फिर से शुरू होंगी। 


सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया कि  उपभोक्ता के ख़रीदी व्यवहार में बड़ा परिवर्तन आया है और वो अब विदेशी सामान के मुक़ाबले भारतीय उत्पादों को ख़रीदने में ज़्यादा तरजीह दे रहे हैं,


 ये अनुमान शुभ तिथियों के अनुसार है जबकि जो लोग शादी की तिथियों का विचार नहीं करते , वो भी अन्य तिथियों पर शादी करते हैं वहीं शादियों से संबंधित अन्य अनेक मेहँदी, संगीत एवं सगाई जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, वो भी एक बड़ा खर्च है। 


सीटीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपक गर्ग और उपाध्यक्ष राहुल अदलखा, राजेश खन्ना के अनुसार, शादी के खर्च को सामान और सेवाओं के बीच विभाजित किया जाता है जिसमें मुख्य रूप से वस्त्र, साड़ियाँ, लहंगे, और अन्य परिधान पर 10%, आभूषण 15%, इलेक्ट्रॉनिक्स, बिजली उपकरण, और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 5%, सूखे मेवे, मिठाइयाँ, और स्नैक्स 5%,  किराना और सब्जियाँ 5%, उपहार आइटम्स 4% तथा अन्य वस्तुओं पर 6% का अमूमन खर्च होता है, दूसरी ओर शादियाँ सेवा क्षेत्र में बैंक्वेट हॉल, होटल, और शादी के स्थल 5%, इवेंट मैनेजमेंट 3%, टेंट सजावट 10%,  केटरिंग एवं सेवाएँ 10%, फूल सजावट 4%, परिवहन और कैब सेवाएँ 3%, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी 2%, ऑर्केस्ट्रा, संगीत आदि 3%, लाइट और साउंड 3% तथा अन्य सेवाएँ 7%, के खर्च के अंदाज़ से संपन्न होती हैं ।

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