मणिकर्णिका' कंगना के दमदार परफॉर्मेंस के साथ फिल्म का बेस्ट पार्ट है एक्शन
मणिकर्णिका' कंगना के दमदार परफॉर्मेंस के साथ फिल्म का बेस्ट पार्ट है एक्शन
आखिरकार लंबे इंतजार के बाद कंगना रनौत की बिग बजट फिल्म मणिकर्णिका-द क्वीन ऑफ झांसी (Manikarnika The Queen of Jhansi) बड़े परदे पर रिलीज हो गई है. सेलेब्स ने तो इस फिल्म की खूब तारीफ की है, लेकिन असल में ये फिल्म कैसी है और दर्शक इस फिल्म को कितना पसंद करेंगे जानते हैं इस रिव्यू में.
क्या है स्टोरी...
फिल्म की कहानी शुरू होती है पेशवा (सुरेश ओबेरॉय) की दत्तक बेटी मणिकर्णिका उर्फ मनु (कंगना) से जो जन्म से ही साहसी और सुंदर हैं. ऐसे में राजगुरु (कुलभूषण खरबंदा) की नजर उन पर पड़ती है. मनु के साहस और शौर्य से प्रभावित होकर वह झांसी के राजा गंगाधर राव नावलकर (जीशू सेनगुप्ता ) से उसकी शादी करते हैं. ऐसे में मनु झांसी की रानी बनती है. झांसी की रानी को अंग्रेजों के सामने सिर झुकाना कभी गवारा नहीं था. वह झांसी को वारिस देने पर खुश है कि अब उसके अधिकार को अंग्रेज बुरी नियत से हड़प नहीं पाएंगे. मगर घर का ही भेदी सदाशिव (मोहम्मद जीशान अयूब) षड्यंत्र रचकर पहले लक्ष्मीबाई की गोद उजाड़ता है और फिर अंग्रेजों के जरिए गद्दी छीन लेता है. गंगाधर राव के मरने के बाद मनु झांसी की कमान संभालती हैं और झांसी के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देती है.
कैसी है एक्टिंग...
कंगना रनौत ने फिल्म में दमदार एक्टिंग की है. उनकी परफॉर्मेंस देखकर लगता है कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का रोल उन्हीं के लिए बना था. हालांकि, झलकारी बाई के रोल में अंकिता लोखंडे का रोल छोटा था. लेकिन, अपनी पहली फिल्म में उन्होंने बढ़िया काम किया है. गुलाम गौस खान के रोल में डैनी की परफॉर्मेंस ये साबित करती है कि उनमें पहले जैसी धार अभी भी कायम है. वहीं, गंगाधर राव के रोल में जीशूसेन गुप्ता, पेशवा के रोल में सुरेश ओबरॉय और राजगुरु के रोल में कुलभूषण खरबंदा ने अपना रोल बखूबी निभाया है.
फिल्म का बेस्ट पार्ट इसका एक्शन है. चाहे वो खुद कंगना रनौत हो या फिर टीवी से बॉलीवुड में कदम रखने रही एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे . दोनों को पर्दे पर तलवारबाजी करते हुए देखना रोमांचक है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक और साउंड 1857 की क्रांति जैसा ही जोश भर देगा.
डायरेक्शन...
फिल्म को राधा कृष्ण, जगरलामुदी के अलावा कंगना ने भी डायरेक्ट किया है. कई विवादों और आपसी टकराव के बाद भी कंगना ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है. फिल्म के आखिरी 40 मिनट आपके रौंगटे खड़े कर देंगे.
फिल्म की कमी...
पहले हाफ की तुलना में फिल्म का सेकेंड हाफ थोड़ा स्लो है जो इसकी कमजोर कड़ी है. वहीं, झांसी की रानी के रोल में कंगना की डायलॉग डिलिवरी थोड़ी अटपटी है. इसके अलावा फिल्म में कंटीन्यूटी की भी कमी है. फिल्म के विलेन भी इसका एक कमजोर हिस्सा हैं. विलेन का रोल निभा रहे एक्टर्स कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए.
देखें या ना देखें?
रिपब्लिक डे पर अगर आप अपनी फैमिली और फ्रेंड्स के साथ कोई अच्छी फिल्म देखना चाहते हैं तो मणिकर्णिका जरूर देख सकते हैं. इसके अलावा कंगना की दमदार परफॉर्मेंस और देश के अमर शहीदों को कहानी को बड़े परदे पर देखने के लिए ये फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए.
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