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देर से आना जल्दी जाना अनुपस्थित रहना वि0खं0 कसमंडा के अधिकांश सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की बन चुकी है आदत

 देर से आना जल्दी जाना अनुपस्थित रहना वि0खं0 कसमंडा के अधिकांश सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की बन चुकी है आदत



 सिर्फ एक अध्यापक के सहारे चल रहा पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरौराकलां

समाचार पत्रों की सुर्खियां बनने के बाद भी नहीं थम रहा स्कूलों में शिक्षकों के अनुपस्थित रहने का सिलसिला 


श्री न्यूज़ 24 /अदिति न्यूज़ 

विनय शुक्ला 


कमलापुर-सीतापुर 

उत्तर प्रदेश में जहां पर वर्तमान भाजपा सरकार शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती नजर आती है वहीं पर सरकार के कुछ नुमाइंदे ही सरकार की छवि को धूमिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते जनपद सीतापुर के विकासखंड कसमंडा में आए दिन समाचार पत्रों की सुर्खियां बनने के बाद भी सरकारी स्कूलों के शिक्षक सुधरने का नाम नहीं ले रहे  यहां पर देर से आना ,जल्दी जाना ,अनुपस्थित रहना आदि शिक्षकों की आदत सी बन चुकी है परंतु जिम्मेदारों के कानों में जूं तक नहीं रेंगती शिक्षकों के लापरवाह रवैया से जहां देश के होनहारों का भविष्य अंधेरे में जाता दिखाई दे रहा है तो वहीं कहीं न कहीं सरकार के मंसूबों पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है । प्राप्त जानकारी के अनुसार विकासखंड कसमंडा के अधिकांश विद्यालयों में शिक्षक देर से आते हैं तो वही समय से पहले ही स्कूल बंद कर अपने गंतव्य की ओर जाते देखे जा सकते हैं यही नहीं यहां पर कई विद्यालय तो ऐसे हैं जहां पर शिक्षकों की नियुक्ति तो दर्जनों में है परंतु मौके पर अधिकांश शिक्षक अनुपस्थित ही बने रहते हैं ऐसा ही एक मामला विकासखंड कसमंडा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरौराकला का देखने को मिला अब हमारे संवाददाता ने पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरौराकलां की पड़ताल की तो दोपहर के 12:00 बज कर 10 मिनट हो रहे थे वहां पर सिर्फ एक सहायक अध्यापक स्मृता ही मौजूद मिली जबकि उक्त विद्यालय में 3 अनुदेशकों सहित कुल 6 शिक्षक कार्यरत हैं इसके बाद जब उपस्थित अध्यापिका से जानकारी ली गई तो वह भी कुछ स्पष्ट जानकारी न दे सकी इस विषय पर जब खंड शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार मिश्रा से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया मैं अभी रैली में हूं मैं देखता हूं । इसके बाद जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सीतापुर के मोबाइल नंबर 9453004169 पर कॉल की गई तो उन्होंने फोन उठाना तक मुनासिब नहीं समझा अब सवाल यह उठता है कि आखिर जिम्मेदार जान कर भी क्यों शिक्षकों पर मेहरबान बने रहते हैं ? दर्जनों पेपरों की सुर्खियां बनने के बाद भी आखिर क्यों नहीं शिक्षकों पर कार्रवाई नही हो रही है यह हाल सिर्फ एक विद्यालय का नहीं है अधिकांश विद्यालय में यही कार्यशैली होती है कुछ में शिक्षामित्र पूरे विद्यालय की जिम्मेदारी संभालते नजर आते हैं कुछ प्रधानाध्यापकों वा अध्यापकों से जानकारी ली गई कि आप लेट क्यों आते हैं तो उनका सीधा सा जवाब रहता है कि काफी दूर से आते हैं इसलिए लेट हो जाता है अब देखना होगा कि इन लापरवाह अध्यापकों पर कोई कार्रवाई होगी या नहीं

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