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आखिर कौन है सरकारी भूमि के फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड

 आखिर कौन है सरकारी भूमि के फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड



श्री न्यूज़ 24/अदिति न्यूज़ 

 विनय शुक्ला 



आखिर 2 साल पहले ही भनक लगने के बाद क्यों नहीं सक्रिय हुआ प्रशासनिक महकमा

तहसील प्रशासन क्यों वर्षों तक छुपाता रहा इस तरह का बड़ा फर्जीवाड़ा



सिधौली-सीतापुर । तहसील क्षेत्र की लाखों की जमीन  तहसील कर्मियों की मिलीभगत के चलते कौड़ियों के भाव लोगों ने अपने नाम करवा कर बेच भी दी । विधायक के संज्ञान मैं आने के बाद तहसील से लेकर जिले तक हडकम्प मंच गया ।  विद्यायक मनीष रावत ने प्रकरण की जांच कराए जाने को लेकर जिलाधिकारी व उपजिलाधिकारी को पत्र भेजा।तहसील क्षेत्र के नीलगांव के खाता संख्या 00031 की गाटा संख्या 1585 अवध बिहारी के नाम बिना किसी आदेश के भू अभिलेखों में दर्ज है जबकि यही जमीन फसली वर्ष 1420-1425 में बंजर दर्ज है। तो वही अलादातपुर गाटा संख्या-526मि.

क्षेत्रफल 0890 भी अवध बिहारी के नाम दर्ज हैं जो पुराने अभिलेखों के अनुसार बंजर दर्ज थी । बसईडीह गांव के खाता संख्या 00020 की गाटा संख्या 832 भी भूअभिलेखों में अवध बिहारी के नाम दर्ज है और फसली वर्ष 1420-1425 में  बंजर दर्ज है।इसके अतिरिक्त कस्बे के बहादुरपुर मोहल्ले की खाता संख्या 00011 की गाटा संख्या 14 भी बिना किसी आदेश के अवध बिहारी के नाम दर्ज है जबकि यह भी 1420-1425 फसली वर्ष में बंजर दर्ज है। इस जमीन को अवध बिहारी द्वारा 18 जनवरी को संतनगर निवासी कपिल यादव व लखनऊ के फैजुल्लागंज वार्ड के प्रीतीनगर निवासी प्रदीप गुप्ता को बेच भी दिया गया । इन बंजर जमीनों पर  खतौनी में अपना नाम दर्ज कर बिक्री किए जाने के प्रकरण की जानकारी जब विधायक मनीष रावत को हुई तो उन्होंने प्रकरण का संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी को पत्र भेज प्रकरण में त्वरित जांच कर दोषियों पर कड़ी से कड़ी करवाई करने का अनुरोध किया  । इसके बाद तहसील से लेकर जनपद तक प्रशासनिक अमले में खलबली मच गई  । इसके बाद खिसियाए तहसील प्रशासन ने आनन-फानन में दो अलग अलग एफ आई आर दर्ज कराते हुए हुए एक संविदाकर्मी सहित तत्कालीन लेखपालों को दोषी माना गया जबकि जानकारों का मानना है कि खतौनी में किसी तरह का संशोधन करने का अधिकार सिर्फ राजस्व निरीक्षक को ही है ।तहसीलदार विनोद सिंह ने बताया कि प्रकरण में जांच की जा रही है जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी । इस संदर्भ में जब उपजिलाधिकारी राखी वर्मा से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने उक्त प्रकरण पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया तहसील के बसईडीह ग्राम पंचायत के लेखपाल चंद्रपाल का कहना है कि उक्त प्रकरण वर्ष 2021 में संज्ञान में आया था जिसके बाद मेरे द्वारा लिखित में तहसील प्रशासन को मामले से अवगत कराया गया और फाइल बनाकर तहसील प्रशासन को सौपी गई तथा उक्त भूमि को दोबारा बंजर दर्ज करने की संस्तुति की गई । परंतु तहसील प्रशासन द्वारा मुझको लगातार कई माह तक दौड़ने के बाद बताया गया कि वह फाइल कहीं गुम हो गई है आप दोबारा से नई फाइल बनाकर दे दीजिए इसके बाद जनवरी 2022 में दोबारा उक्त भूमि को बंजर दर्ज कराने हेतु एक नई फाइल बनाकर तहसील में दी  इसके बाद भी उक्त फाइल कई महीनों तक तहसील की शोभा बढ़ाती रही परंतु तहसील प्रशासन द्वारा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया इसके बाद जब मेरे द्वारा लगातार प्रयास किया गया तो उक्त प्रकरण को कोर्ट में फाइल कर दिया गया जबकि राजस्व संहिता की धारा 38 के अनुसार किसी त्रुटि को राजस्व निरीक्षक द्वारा सुधारा जा सकता है ।

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