जेल मे ही रहना होगा बिलकिस के गुनाहगारो की, आया सुप्रीम फैसला..
जेल मे ही रहना होगा बिलकिस के गुनाहगारो की, आया सुप्रीम फैसला..
बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख, गुजरात सरकार का फैसला पलट रद्द की दोषियों की सजा माफी..
गुजरात दंगे के दौरान पीड़िता बिलकिस बानो के साथ 11 लोगों ने सामूहिक बलात्कार और कई लोगो के कातिलो को गुजरात सरकार ने संस्कारी मानते हुए माफी दे थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए इन रेपिस्ट / कातिलों की रिहाई को रद्द कर दिया है।जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भुइयां की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। इस मामले में बिलकिस बानो ने खुद ही दोषियों को मिली सजा में छूट को चुनौती देते हुए याचिका दायर थी। उनकी याचिका के अलावा गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई जनहित याचिकाएं भी दर्ज की गई थीं।
कौन है बिलकिस बानो और 2002 में क्या हुआ था?....
गोधरा ट्रेन में आग लगाने की घटना के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बिलकिस का बेरहमी से सामूहिक बलात्कार किया गया था. उस समय वह 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी. उसके परिवार के सात सदस्यों की दंगाइयों ने हत्या कर दी थी।28 फरवरी, 2002 को गोधरा स्टेशन पर पिछले दिन की घटना के बाद राज्य में हिंसा भड़क गई. इसके बाद, बिलकिस दाहोद जिले के राधिकपुर गांव से भाग गई. बिलकिस के साथ उसकी बेटी सालेहा, जो उस समय साढ़े तीन साल की थी, और उनके परिवार के 15 अन्य सदस्य थे।
3 मार्च 2002 को परिजन छप्परवाड़ गांव पहुंचे. चार्जशीट के मुताबिक, उन पर हंसिया, तलवार और लाठियों से लैस करीब 20-30 लोगों ने हमला किया था. हमलावरों में 11 आरोपी युवक भी थे. यहीं पर बिलकिस, उसकी मां और तीन अन्य महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और उन्हें बेरहमी से पीटा गया. राधिकपुर गांव के मुसलमानों के 17 सदस्यीय समूह में से आठ मृत पाए गए और छह लापता थे. हमले में केवल बिलकिस, एक आदमी और एक तीन साल का बच्चा बच गया था।बलात्कार के बाद कम से कम तीन घंटे तक बिलकिस बेहोश रही. होश में आने के बाद उसने एक आदिवासी महिला से कपड़े उधार लिए और एक होमगार्ड से मिली जो उसे लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन ले गया. उसने हेड कांस्टेबल सोमाभाई गोरी के पास शिकायत दर्ज कराई, जिसने सीबीआई के अनुसार, "भौतिक तथ्यों को दबाया और उसकी शिकायत का एक विकृत और छोटा संस्करण लिखा."...
CBI ने अपनी जांच में क्या पाया?...
सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि आरोपी को बचाने के लिए पोस्टमार्टम सही से नहीं किया गया था. सीबीआई जांचकर्ताओं ने हमले में मारे गए लोगों के शव निकाले और कहा कि सात शवों में से किसी में भी खोपड़ी नहीं थी. सीबीआई के मुताबिक पोस्टमार्टम के बाद लाशों के सिर काट दिए गए थे, ताकि शवों की शिनाख्त न हो सके।
मामले में सुनवाई कैसे आगे बढ़ी?...
बिलकिस बानो को जान से मारने की धमकी मिलने के बाद मुकदमे को गुजरात से बाहर महाराष्ट्र ले जाया गया. मुंबई की अदालत में छह पुलिस अधिकारियों और एक सरकारी डॉक्टर सहित 19 लोगों के खिलाफ आरोप दायर किए गए थे।
जनवरी 2008 में एक विशेष अदालत ने 11 आरोपियों को बिलकिस बानो बलात्कार मामले में दोषी ठहराया. कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई. हेड कांस्टेबल को आरोपी को बचाने के लिए "गलत रिकॉर्ड बनाने" का दोषी ठहराया गया था. इसी के साथ अदालत ने सबूतों के अभाव में सात लोगों को बरी कर दिया था . सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।मण्डल कोर्डिनेटर राजकुमार सिंह की खास रिपोर्ट
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