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परमार्थ यात्रा के पथिक की ही कीर्ति गायी जाती है-प्रेमभूषण महाराज

 परमार्थ यात्रा के पथिक की ही कीर्ति गायी जाती है-प्रेमभूषण महाराज


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जौनपुर-जौनपुर में वर्षों से लंबित  मेरी रामकथा को प्रायोजित करके ज्ञानप्रकाश सिंह ने इस प्रतीक्षा को समाप्त कर दिया,मुझे यह विश्वास ही नही हो रहा था कि कोई मेरी रामकथा का आयोजन जौनपुर में करवायेगा किन्तु ज्ञानप्रकाश सिंह ने इसे विश्वास प्रदान किया यह इनका इनके परिवार की तपश्चर्या और जौनपुर वासियों के सौभाग्य का परिणाम है।पूज्यश्री ने कथा का प्रारंभ रामकथा महिमा गान करते हुए अपने सुप्रसिद्ध भजन जय जय रामकथा, जय श्रीरामकथा..की प्रस्तुति से कथा में उमड़े विशाल जन समुदाय को भाव विभोर कर दिया। पूज्यश्री ने कथा को विस्तार देते हुए कहा कि व्यक्ति को उसकी दृष्टि के अनुरुप ही गुण और दोष के दर्शन होते हैं।परमार्थ यात्रा के पथिक की ही कीर्ति गायी जाती है, इसलिए हमें सर्वकाल सत्कर्म और परमार्थ में ही गति करना चाहिए।पूज्यश्री ने व्यासपीठ से अक्षय नवमी की मंगल बधाई देते हुए  कहा कि इस दिन दान देने का बड़ा महात्म है इस दिन दिया गया दान कई गुना बढ़ कर अक्षुण हो जाता है।दान में वस्तु और परिमाण से अधिक महत्व भाव का होता है, अतः जीवन में दान धर्म का आश्रय लेने से पुण्य बढ़ता है।पूज्यश्री ने श्रोताओं से कहा कि बारंबार भगवान की कथा सुनने से   कथा चित्त में उतरती है।



सती प्रसंग के आश्रय में पूज्यश्री ने सुंदर सूत्र प्रदान करते हुए कहा कि, जो अपना हो उसे सर्वकाल समझाना चाहिए।भक्ति पथ को कलंक से बचाने के लिए शिव बाबा ने सती जी का त्याग कर दिया। पूज्यश्री ने व्यासपीठ से सावधान करते हुए कहा कि, हमारे जीवन का प्रत्येक अनुष्ठान भगवत प्रेम, पुण्य और परमार्थ के लिए होना चाहिए, अहंकार वश आडंबर और किसी के अपमान हेतु किया गया अनुष्ठान अनिष्टकारी ही होता है।उपरोक्त बातें पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज ने  जौनपुर में बी. आर. पी. कॉलेज मैदान  में सेवाभारती जौनपुर;काशी प्रांत द्वारा पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज के व्यासत्व में आयोजित सात दिवसीय दिव्य श्रीरामकथा में कही। इस कथा का आयोजन 10 से 16 नवम्बर 2024 तक किया गया है। इस आयोजन के प्रायोजक, मुख्य संकल्पी ज्ञान प्रकाश सिंह है। समाज में ज्ञान प्रकाश सिंह  की ख्याति वर्षों से एक सफल  व्यवसायी एवं सुप्रसिध्द समाजसेवी की  है।

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