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इस दुनिया में माता पिता से बड़ा कोई देवता नहीं

 इस दुनिया में माता पिता से बड़ा कोई देवता नहीं



महराजगंज, जौनपुर 


क्षेत्र के केवटली स्थित बीआरसी के बगल में अयोध्या से पधारे कथा व्यास निर्मल शरण जी महराज के मुखारविंद से अमृतमई कथा का रसपान क्षेत्रवासी कर रहे हैं।

इस नव दिवसीय संगीतमयी श्रीरामकथा के आयोजन में दूसरे दिन कथा में प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि

दुनिया में माता-पिता का भार सात जन्मों तक कोई भी संतान नहीं उतार सकता क्योंकि माता-पिता तो दुनिया के सबसे बड़े भगवान हैं। फिर भी हमारी पीढ़ी यह समझने में भूल कर रही है। तभी तो आज के समय में जो परिवार अपने आपको संपन्न मानते हैं ऐसे परिवारों में हमारे बुजूर्गों को पूरा सम्मान नहीं मिल रहा है जिस कारण आज वे आश्रमों में शरण लेने को मजबूर हैं। ऐसा तब हो रहा है जब हम सब काफी शिक्षित हो गये हैं। अरे, ऐसी शिक्षा का क्या फायदा जो अपने बूढ़े माता-पिता को धिक्कार दे ऐसे समाज का क्या फायदा जहां उन बुजूर्ग माता-पिता को अनदेखा कर दिया जाये जिन्होंने अपने परिवार को पालने के लिये दिन-रात एक कर दिये। कैसा समय आ गया है।

जरा सोचिये! क्या गुजरेगी एक मॉं-बाप पर जब उनके साथ ऐसा व्यवहार होगा। क्या आप सब जानते हैं कि जैसा बोओगे, वैसा काटोगो। फिर आप का शिक्षित होने का क्या फायदा वैसे भी वो ही दिन अच्छे थे जब धरती पर श्रवण कुमार जैसे पुत्र जन्म लेते थे या फिर कह सकते हैं वह समय वास्तव में बहुत अच्छा रहा होगा।

इस कथा को संगीतमयी बनाने वाले व्यास निर्मल शरण  महाराज जी ने अपने संगीत की धुन से सभी भक्तगणों को भाव विभोर कर दिया। कथा का रसपान करने वाले सभी भक्त गणों को नंदलाल मोदनवाल(नंदा)आभार प्रकट किए। कथा का संचालन शुभम सिंह काशी ने किया। सैकड़ों की संख्या में महिलाएं, पुरुष, युवक युवतियां, बच्चे आदि उपस्थित रहे। कथा के अंत में प्रतिदिन की भांति विधिवत आरती-पूजन किया गया, जयकारें लगाये गये, इस मौके पर यज्ञाचार्य पं. अखिलेश चंद्र मिश्र,आचार्य अरुण दुबे,खजांची लाल मोदनवाल,भोला प्रसाद सेठ, शिव पूजन सेठ,राजेश निगम,शोभनाथ जायसवाल सैकड़ो की संख्या में कथा प्रेमी उपस्थित रहे।

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