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अयोध्या की मिल्कीपुर में अब चुनाव की बारी, दलित और ब्राह्मण बाहुल्य सीट पर बसपा के हटने के ऐलान से क्या है समीकरण

अयोध्या की मिल्कीपुर में अब चुनाव की बारी, दलित और ब्राह्मण बाहुल्य सीट पर बसपा के हटने के ऐलान से क्या है समीकरण



अदिति न्यूज़ /श्री न्यूज़ 24 अयोध्या


मंडल ब्यूरो अयोध्या दल बहादुर पांडेय अयोध्या



यूपी में 9 सीटों पर उपचुनाव के बाद अब बारी अयोध्या की मिल्कीपुर की है हाई कोर्ट की मंजूरी के बाद मिल्कीपुर* में उपचुनाव का रास्ता साफ हो चुका है। चुनाव आयोग कभी भी इस सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर सकता है। माना जा रहा है कि एक बार फिर भाजपा और सपा के बीच ही यहां भी सीधी टक्कर होगी। सभी 9 सीटों पर बसपा ने भी प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन अब चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान मायावती ने कर दिया है। ऐसे में दलित और ब्राह्मण बाहुल्य मिल्कीपुर में समीकरण बदले- बदले से दिखाई दे रहे हैं। माना जा रहा है कि इसी महीने जिन सीटों पर उपचुनाव हुआ है वहां बसपा के कारण सपा को चोट पहुंची है।मिल्कीपुर की जातीय समीकरणों पर निगाह डाले तो यहां दलित और ब्राह्मण वोट अहम भूमिका निभाते हैं। इस सीट पर 3.5 लाख मतदाताओं में से 1.2 लाख दलित, यादव 55000 और 30000 मुस्लिम है। यही कारण है कि भगवा लहर में भी सपा जीतती रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जो भी दलितों के साथ-साथ ब्राह्मण 80000, क्षत्रिय 25000 और अन्य पिछड़े वर्गों का समर्थन हासिल करेगा वही विजई होगा। देखना यह है कि क्या सपा का पीडीएफ फार्मूला इस सीट पर इस तरह काम करेगा जैसा इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में किया था या फिर भाजपा जातिगत विभाजन को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो पाता है। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के बाबा गोरखनाथ को हराकर यह सीट जीती थी। अवधेश प्रसाद को जहां 49.99 प्रतिशत (10,3905) मिले थे, वही गोरखनाथ को 41.83% (90,567)वोट मिले थे। सपा ने अयोध्या से मौजूदा सांसद अवधेश प्रसाद की बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने अभी तक अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है। कांग्रेस का समर्थन सपा को जारी रहने की ही उम्मीद है। निर्वाचन आयोग ने अभी मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किया है। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीट के हाल ही में संपन्न उपचुनाव में 9 में से 7 सीट जीतकर उत्साहित भाजपा के लिए मिल्कीपुर सीट प्रतिष्ठा का सवाल है और वह उसे जीतने की भरसक कोशिश करेगी।

*मिल्कीपुर सीट का उप चुनाव भी पूर्व में हुए नौ विधानसभा सीट की उपचुनाव के साथ ही होना था लेकिन साल 2022 में हुए इस विधानसभा चुनाव में इस सीट के लिए हुए निर्वाचन को लेकर अदालत में याचिकाएं दायर होने की वजह से यहां उपचुनाव नहीं हो सका था। मगर हाल ही में यह बाधा समाप्त होने के बाद मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2022 की विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर निर्वाचन क्षेत्र से सपा नेता अवधेश प्रसाद के निर्वाचन को चुनौती देने वाली दो याचिकाओ को वापस लेने की अनुमति दे दी, जिससे सीट पर चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया। पिछले महीने नौ विधानसभा सीट के हुए उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली भाजपा मिल्कीपुर सीट जीतकर अपना विजय अभियान जारी रखने की उम्मीद कर रही है, जबकि सपा इस हाई प्रोफाइल निर्वाचन क्षेत्र पर अपना कब्जा बरकरार रखने की कोशिश में है। विधानसभा की 9 सीट के लिए हाल ही में संपन्न उपचुनाव में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया और उसने मुरादाबाद में कुंदरकी जैसे सपा के घर सहित 6 सीट जीती। जबकि उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल को एक सीट मिली। सपा ने सीसामऊ और करहल विधानसभा सीट जीती मगर इन दोनों ही क्षेत्र में उसकी वोट प्रतिशत में काफी गिरावट आई। मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा बटेंगे तो कटेंगे जैसे नारों के जरिए हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश कर सकती है जबकि सपा अपने पीडीए यानी (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक)के नारे पर भरोसा कर सकती है। मिल्कीपुर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उस अयोध्या लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है जिस पर पिछले लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की थी। उससे पहले वह मिल्कीपुर विधानसभा सीट से विधायक थे, सांसद चुने जाने के बाद उनकी इस सीट से इस्तीफा देने की चलती यहां यूपी चुनाव करना जरूरी हो गया।

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