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सुशासन के लिए दंड विधान अनिवार्य है -प्रेमभूषण महाराज

 सुशासन के लिए दंड विधान अनिवार्य है -प्रेमभूषण महाराज


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नालासोपारा-आओ गायें रामकथा घर घर में इस आध्यात्मिक आंदोलन के प्रणेता, मानस के सिद्ध साधक, व्यवहार घाट के ओजस्वी वक्ता क्रांतिकारी संत पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज ने नालासोपारा पूर्व में आयोजित नौ दिवसीय मानस महाकुंभ के विश्राम दिवस पर जटायु वध प्रसंग को स्मरण करते हुए कहा  कि, जगत के लोगों की मृत्यु पर जगत रोता है किंतु जटायु जी की मृत्यु पर जगदीश रोये इसलिए जटायु जी धन्य हैं, सबसे बड़े सौभाग्यशाली हैं।

मानव जीवन सत्कर्मों के पुण्य का परिणाम है।कर्म का फल सब को खाना पड़ता है, इसलिए कर्म करते समय सावधान रहना चाहिए।रामकथा विश्वास करने पर ही फल देती है।इन्द्रिय भोग में  अकेले  लिप्त रहने वाले जीव को सत्कर्म करते समय साथ ढूढ़ने से सत्कर्म छूट जाता है। बालि सुग्रीव प्रसंग से पूज्यश्री ने सर्वमान्य व्यवहार की बात बतलाते हुए कहा कि,  निंदा करते समय व्यक्ति अपने को सेफ मोड पर रखता है।अपने दोष की चर्चा भी नही करता।  

दंड विधान की व्यवस्था न होने पर प्रजा निरंकुश हो जाती है। परिवार,समाज, संस्थान एवं देश की सत्ता, व्यवस्था का सुचारू रूप से संचालन हेतु दण्ड विधान होना ही चाहिए फिर चाहे वह देश, समाज में दण्ड विधान अनिवार्य है

।प्रेमभूषण महाराज ने अपनी कथा को विस्तार देते हुए बालि वध,लंका दहन,लंका विजय पश्चात प्रभु माता सीता जी और लक्ष्मण जी वानर साथियों के संग अयोध्या जी पहुँचने और गुरू वशिष्ठ जी की अनुमति से रामराज्यभिषेक महोत्सव तक का व्यास और समास विधि से वर्णन करते हुए कथा पूर्ण करके नौ दिवसीय मानस महाकुंभ को सम्पन्न किया।


बिजेंद्र रामचंद्र सिंह के संयोजन और मुख्य यजमान श्रीमती मीरा बिजेंद्र सिंह के संकल्प से 

मानस महाकुंभ में  मुम्बई प्रधान गणेश अग्रवाल,

 श्रीमती श्रद्धा प्रिंस सिंह,सुश्री शिवानी सिंह,, ,प्रभात सिंह बब्लू, ,सुधाकर सिंह''विसेन,आर. डी. सिंह' वरिष्ठ पत्रकार लालशेखर सिंह,समाज सेवक रामा चौबे, मंजय तिवारी, रमेश चौबे,मिथिलेश सिंह,सतीश सिंह,श्रीमती अशोका तिवारी एवं  दिनेशप्रताप सिंह,अशोक सिंह आशावादी,सरिता चौबे, रेखा गुप्ता आदि जन अवगाहन करते हुए अपना सौभाग्यवर्धन किया।

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