जीवन में सम्पत्ति से अधिक महत्व संबंधों को देना चाहिए- -राजन महाराज
जीवन में सम्पत्ति से अधिक महत्व संबंधों को देना चाहिए- -राजन महाराज
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भाईंदर-पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज के कृपापात्र पूज्य राजन महाराज के व्यासत्व में धर्मज्योति प्रचार सेवा संस्थान के द्वारा 25 दिसंबर से 2फरवरी तक आयोजित नौ दिवसीय श्रीरामकथा के पूर्णाहुति सत्र पर संबोधित करते हुए कहा कि,
सगुण उपासक को कभी मोक्ष की कामना नही करना चाहिए भरत चरित्र के आश्रय में रामकथा गायन करते हुए पूज्य राजन महाराज ने कहा कि,भगवान के धाम से बड़ा सुख भारत वर्ष में है, इसलिए बार बार भारत में जन्म की कामना करना चाहिए। तीर्थराज सभी कामनाओं को पूर्ण करते हैं किंतु रामजी के प्रेम में भरत जी ने अपने क्षात्र धर्म का त्याग करके तीर्थराज से चारों फलों को ठुकराते हुए हर जन्म में रामभक्ति की याचना करते हैं।भक्त के सहारे ही भगवान को पाया जा सकता है।जीवन में सम्पत्ति से अधिक महत्व संबंधों को देना चाहिए क्योंकि संबंधों के बिना संपत्ति व्यर्थ होती है।चित्रकूट केभरत कूप की महिमा गान करते हुए कहा कि, आज भी भरत कूप का जल अपने ऊपर छिड़क लेने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है।परिवार के मुखिया को समदृष्टि से परिवार का पालन करना चाहिए। आरण्य काण्ड की कथा प्रसंग से प्रेमसूत्र निवेदित करते हुए राजन महाराज ने कहा कि, किसी भी संबंध का आधार स्वभाव होना चाहिए न कि प्रभाव।
भगवान की शरण में जाकर जीव ब्रह्महत्या के पाप से भी मुक्त हो जाता है। शबरी प्रसंग में नवधा भक्ति की कथा बतलाते हुए राजन महाराज ने कहा.. प्रेम में नियम नही होना चाहिए जहाँ बहुत नियम होता है वहाँ प्रेम समाप्त हो जाता है। इस प्रकार सुंदरकांड में हनुमान जी द्वारा सीता जी की खोज, लंका दहन तत्पश्चात सेतु बंध और लंका में युद्ध के दौरान, रावण को भगवान सद्गति देकर विभीषण को लंका की सत्ता सौंपकर भगवान माता सीता,लक्ष्मण और अपने साथियों के संग अयोध्या पहुँचे।अयोध्या में आनंद उत्सव के बीच भगवान राम का गुरू वशिष्ट ने राजतिलक करके अयोध्या की राजसत्ता सौंप दिया।रामराज के सुखद संदेश से पूरी अयोध्या में बधाई बजने लगी।इस आनंद के क्षण को जीवंत करते हुए राजन महाराज ने मोहक गीत सुनाया.. राजा बने रघुरैया अवध आज बाजे बधइया, इसको सुनकर कथा में उमड़ा अपार जन समूह खड़े होकर कर जय श्रीराम का उद्घोष करने लगा।इस प्रकार राजन महाराज ने धर्मज्योति सेवा संस्थान के तत्वावधान में चल रहे नौ दिवसीय श्रीरामकथा का सत्र पूर्ण करते हुए कथा को विश्राम दिया।राजन महाराज के भजन के दीवाने श्रोताओं के बीच राजन महाराज की कथाओं को अपने वादक साथियों के साथ संगीत से सजाने वाले विनय भैया ने हमेशा की तरह इस बार भी संगत देकर कथा श्रोताओं का मन मोह लिया।
आयोजन के मुख्य यजमान अनूप दान बहादुर सिंह, अध्यक्ष नवीन रामधारी सिंह और उनके सहयोगियों शारदा प्रसाद पाण्डे, आनंद पाण्डे,,विनय चौबे,सरिता चौबे, एड.प्रीति पांडे के बीच अतिथि के रूप में उपस्थित होकर वरिष्ठ पत्रकार शिवपूजन पाण्डे, हम रामजी के रामजी हमारे हैं सेवा ट्रस्ट परिवार मुंबई के प्रधान गणेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष बिजेंद्र सचिव अविनाश मिश्र, सहसचिव दिनेशप्रताप सिंह,मीरा बिजेंद्र सिंह, प्रिंस सिंह, राजेश सिंह, अनिल मिश्र, आचार्यबालकृष्ण,प्रवासी संदेश के संपादक राजेश उपाध्याय,, सुधाकर सिंह "विसेन' आदि श्रद्धालुओं ने भी इस मानस मंदाकिनी में अवगाहन करके पुण्य लाभ अर्जित किया।
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