तस्वीर में दिखते जैसे कई लोगों ने सस्ती लोकप्रियता और hate farming को इंटरनेट पर धंधा बना लिया है.
तस्वीर में दिखते जैसे कई लोगों ने सस्ती लोकप्रियता और hate farming को इंटरनेट पर धंधा बना लिया है.
पहले कुछ विवादास्पद बोलो, ट्रेंड में आओ, नेगेटिव पब्लिसिटी बटोरों। फिर जब मामला गरम हो जाए, तो एक फैंसी सा SORRY पोस्ट और इंस्टाग्राम स्टोरी डाल दो,
"हमारी नीयत गलत नहीं थी, किसी की भावनाएं आहत हुई हों तो खेद है."
इसके बाद अगला खेल शुरू होता है-
कुछ बड़े इन्फ्लुएंसर्स को पैसे देकर अपने पक्ष में पोस्ट और वीडियो बनवाओ.
"यार, फलाना को मैं पर्सनली जानता हूं, वो ऐसा इंसान नहीं है, बस मजाक में निकल गया!"
अगर इससे भी बात नहीं बनती, तो किसी संगठन से विरोध करवा दो ताकि जाति-धर्म, महिला-पुरुष का एंगल बन जाए. लोग पक्ष-विपक्ष में बंट जाएं और असली मुद्दा भटक जाए उल्टा, सहानुभूति भी मिल जाए!
यह सब तब तक नहीं रुकेगा जब तक इन्हें आर्थिक नुकसान नहीं होगा.
जब तक लोग इन्हें फॉलो करते रहेंगे, इनके वीडियो वायरल करते रहेंगे, इनकी ब्रांड डील्स चलती रहेंगी,तब तक ये बार-बार वही दोहराते रहेंगे.
इनकी कमाई ही विवादों से होती है. ब्रांड्स को भी जवाबदेह ठहराना होगा, जो ऐसे कंटेंट क्रिएटर्स को पैसा देते हैं. जब तक इनका रेवेन्यू ठप नहीं होगा, इनकी बेशर्मी बंद नहीं होगी.
जब तक फूहड़ता और अश्लीलता को लोकप्रियता मिलती रहेगी, इंटरनेट पर यह गंदगी बढ़ती रहेगी.
लेकिन सवाल उठता है-एक व्यूअर या इंटरनेट यूजर के तौर पर हम क्या कर सकते हैं?
बहुत से लोग ऐसे कंटेंट नहीं देखना चाहते, लेकिन प्लेटफॉर्म का एल्गोरिदम बार-बार इसे दिखाता है.
दरअसल, ये जानबूझकर एक लूप क्रिएट करते हैं-
कुछ विवादास्पद बोलो → नेगेटिव प्रतिक्रिया आनी शुरू होती है → कंटेंट को पब्लिक अटेंशन मिलती है → प्लेटफॉर्म का एल्गोरिदम इसे और पुश करता है → आपके स्क्रीन पर बार-बार वही दिखने लगता है.
आप इस लूप को तोड़ सकते हैं-
चैनल पर जाइए और रिपोर्ट कीजिए.
ताकि यह लूप टूट सके. मण्डल कॉर्डिनेटर राजकुमार सिंह अदिति न्यूज़ की अपनी जानकारी पेश हैं पर आप लोग क्या सोचते आप के ऊपर हैं।
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