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बिना अहंकार त्यागे नहीं मिटता अंधकार- आचार्य कौशल किशोर

 बिना अहंकार त्यागे नहीं मिटता अंधकार- आचार्य कौशल किशोर




जिला संवाददाता दलबहादुर पांडेय अयोध्या ।


भक्तों में जब विकार आ जाता हैं तो भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए उसके अंहकार को नष्ट कर देते हैं। जब तक व्यक्ति के अंदर अहंकार है तब तक व्यक्ति के अंदर से अंधकार नहीं मिट सकता। जब तक अंधकार है तब तक दुख और अशांति से छुटकारा नहीं मिल सकता।* *उपरोक्त बातें क्षेत्र के गोयड़ी पूरे शुक्ल में श्रीमदभागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास पंडित आचार्य कौशल किशोर मिश्र ने कही। कथा मे श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के नामकरण और पूतना वध के साथ माखनचोरी, गोवर्धन पूजा की लीलाओं का वर्णन सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए।

 कथा व्यास ने भगवान की बाल लीला का वर्णन करते हुए बताया कि कंस के यहां कर स्वरूप जाने वाले दूध, दही, माखन को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार का खेल खेलते है। भगवान अपने सखाओं के साथ माखन चोरी करके बछडो को छोड करके , मटकी फोड़कर रोकने का प्रयास किया और सफल रहे।

    कथा व्यास ने गोवर्धन पूजा में कहा कि यदि भगवान के भक्तों में विकार आ जाता हैं तो वे अपने भक्तों की रक्षा को उसके अहंकार के अंकुर को नष्ट कर देते हैं। इंद्रदेव का उदाहरण दिया और कहा एक बार उन्हें अहंकार हो गया था, तब श्री कृष्ण ने मार्ग दर्शन कर इंद्र की पूजा न कराकर गिरिराज की पूजा कराई। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ।

      इस अवसर पर मुख्य यजमान रामचंद्र धर दुबे एवं हरिश्चंद्र धर दुबे, कवि अरुण द्विवेदी, धर्मेंद्र दुबे सहित भारी संख्या में श्रोताओं ने कथा का रसपान किया।

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