Click now

https://bulletprofitsmartlink.com/smart-link/41102/4

लखनऊ रेपो रेट रखा जस का तस यानी महंगाई से राहत नही पेट्रोल-डीजल सस्ते हो गए लेकिन कंपनियां भाव घटाने को तैयार नहीं

 लखनऊ  रेपो रेट रखा जस का तस यानी महंगाई से राहत नही पेट्रोल-डीजल सस्ते हो गए लेकिन कंपनियां भाव घटाने को तैयार नहीं



अदिती न्यूज श्री न्यूज 24 पोर्टल यूट्यूब चैनल लखनऊ रायबरेली


पत्रकार प्रवीण सैनी लखनऊ 


रिज़र्व बैंक ने अपनी समीक्षा में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है इसका सीधा सा मतलब ये है कि जिन्होंने भी बैंक से लोन ले रखा है उन्हें अगले तीन महीने तक तो कोई राहत नहीं ही मिलेगी महंगे पेट्रोल आसमान छूती खाने-पीने की चीजें और आटा-दाल सब कुछ महँगा है ऐसे में ईएमआई में भी कोई राहत नहीं मिले तो दुख तो होता ही है

ख़ैर अमीरों का इस देश में इस तरह के दुख से कोई वास्ता नहीं होता गरीब किसी ईएमआई के चक्कर में पड़ता नहीं। एक बचा मध्यम वर्ग का आदमी दुनिया-जहान का बोझ उसी पर पड़ना है क्योंकि उसने बैंक से लोन भी ले रखा है उसे मॉल जाने की लत भी लगी है उसकी गाड़ी में तेल भी जलता है और इस सब के साथ साथ उसका इंक्रीमेंट भी पाँच प्रतिशत से ज़्यादा नहीं हो पा रहा है कम से कम कोविड के बाद के तीन सालों से तो यही हाल हैं

इस बीच खबर है कि रूस से भारत को मिलने वाला कच्चा तेल काफ़ी सस्ता हो गया है या ये कहें कि भारत को काफ़ी सस्ता पड़ रहा है लेकिन कंपनियाँ दाम घटाने को तैयार नहीं हैं। वे अपना पुराना घाटा बता बताकर लोगों को लूटती रहती हैं जहां तक केंद्र सरकार का सवाल है वो तो यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेती है कि तेल के दाम तो बाज़ार पर निर्भर है सरकार का इस पर नियंत्रण तो कांग्रेस के ज़माने से नहीं रहा ये बात और है कि जब चुनाव जीतना हो तो तमाम नियंत्रण सरकारों के पास आ जाते हैं और वे पेट्रोल डीज़ल के दाम घटाने की ताक़त का भी बाक़ायदा इस्तेमाल कर लेती हैं

जहां तक राज्य सरकारों के हालात हैं वे तो पूछना भी ठीक नहीं दुनिया में आग लगे तो लगे केंद्र सरकार दाम भले ही घटा दे राज्य सरकारें अपने हिस्से का टैक्स कम करने को तैयार ही नहीं होती दरअसल इन राज्य सरकारों की मोटी कमाई पेट्रोल- डीज़ल और शराब की बिक्री से ही होती है इसलिए केंद्र की लाख हिदायतों के बावजूद राज्य अपने टैक्स को घटाने पर कभी तैयार नहीं होते

कोई टिप्पणी नहीं