लखनऊ विरासत-ए-खालसा तीर्थस्थल के लिए डॉ राजेश्वर सिंह ने सीएम को लिखा पत्र, सरोजनीनगर में उपलब्ध कराई भूमि
लखनऊ विरासत-ए-खालसा तीर्थस्थल के लिए डॉ राजेश्वर सिंह ने सीएम को लिखा पत्र, सरोजनीनगर में उपलब्ध कराई भूमि
अदिती न्यूज श्री न्यूज 24 पोर्टल यूट्यूब चैनल लखनऊ रायबरेली
संवाद दाता प्रवीण सैनी लखनऊ
लखनऊ पिछले वर्ष आलमबाग गुरूद्वारे की ओर से आयोजित सिख सम्भाचरण मेला व सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिख गुरुओं के इतिहास को संजोनें के लिए लखनऊ में विरासत-ए-खालसा म्यूजियम की स्थापना किये जाने की घोषणा की थी
इस संबंध में सरोजनीनगर विधायक डॉ राजेश्वर सिंह ने अपनी विधानसभा क्षेत्र में विरासत-ए-खालसा तीर्थस्थल की स्थापना के लिए प्रयास शुरू करते हुए भूमि भी चिन्हित कर ली है उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस कार्य के लिए अपनी विधायक निधि से पच्चीस लाख की धनराशि का सहयोग भी प्रदान करने की इच्छा जताई है
सरोजनीनगर विधायक ने विरासत-ए-खालसा तीर्थस्थल के लिए बिजनौर परगनान्तर्गत ग्राम सभा नींवा में चौबीस पांच सौ तीस हेक्टेयर भूमि चिन्हित की है यह भूमि मोहान-बनी राज्य राजमार्ग एक सौ छातीस के प्राइम लोकेशन पर स्थित है शांत एवं सुरम्य वातावरण में स्थित चयनित स्थान पर भव्य विरासत-ऐ-खालसा तीर्थस्थल के निर्माण के साथ-साथ भोजनालय यात्रा विश्रामालय एवं पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाओं को भी विस्तार दिया जा सकता है
सरोजनीनगर विधायक ने पत्र में लिखा कि पर्यटन धर्मार्थ कार्य अथवा अन्य यथोचित विभागों के माध्यम से पांच करोड़ की धनराशि आवंटित कर अनुभवी स्थापत्यविदों के निर्देशन में इस ऐतिहासिक तीर्थस्थल का निर्माण किया जाये जहाँ सिख गुरुओं की जीवंत प्रतिमाएं उनके सर्वोच्च बलिदान का सजीव चित्रण करती झांकियां पार्क डिजिटल लाइब्रेरी फाउंटेन थी डी प्रोजेक्शन लाइट्स और साउंड शो एम्फीथिएटर की स्थापना कर भव्य स्वरूप दिया जाए इस से यह विश्व भर के पर्यटकों और सिख धर्म के अनुयायियों के बीच आकर्षण का केंद्र बन सकेगा
डॉ राजेश्वर सिंह का इस बारे में कहना है कि सिख गुरुओं के शौर्य का गौरवशाली इतिहास रहा है मानवता के कल्याण के लिए सभी गुरुओं के अदम्य साहस समर्पण और त्याग व विश्व बंधुत्व की शिक्षाओं जन-जन तक पहुँचाये जाने की आवश्यकता है सरोजनीनगर में विरासत-ए-खालसा तीर्थस्थल के निर्माण के पीछे की मंशा विधानसभा क्षेत्र को नई पहचान दिलाना है इसके निर्माण से आध्यात्मिक-सांस्कृतिक विकास तो होगा ही साथ-ही-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा तथा रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे
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