रायबरेली गोरखपुर मुसलमानों के नाम पर धोखा है शहर का मुस्लिम मुसाफिरखाना
रायबरेली गोरखपुर मुसलमानों के नाम पर धोखा है शहर का मुस्लिम मुसाफिरखाना
अदिती न्यूज श्री न्यूज 24 पोर्टल यूट्यूब चैनल रायबरेली
पत्रकार संजय मिश्रा शिवगढ़ रायबरेली
लीज खत्म होने के बाद से नुजूल की भूमि पर संचालित हो रहा मुसाफिरखाना
गोरखपुर पुलिस लाइन के सामने गोरखपुर शहर का मुस्लिम मुसाफिरखाना इस मुसाफिरखाने के बारे में भले ही शहर की मुस्लिम अवाम ये जानती हो कि ये मुस्लिम मुसाफिरों के ठहरने के लिए बनाया गया है और कोई भी मुस्लिम मुसाफिर यहां किफायती और वाजिब कीमत पर ठहर सकता है लेकिन आपको बतादें की इस मुसाफिरखाने के बारे में अगर आप भी यही सोचते हैं तो आप की सोच गलत है
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तहत कब्रिस्तान मस्जिद और मुसाफिरखाना वक्फ नम्बर एक सौ चालीस के अंतर्गत दर्ज था राजस्व अभिलेखों की बात करें तो मस्जिद और कब्रिस्तान आराज़ी नम्बर और मुस्लिम मुसाफिरखाना आराज़ी नम्बर चौवन पर स्थित है
उन्नीस सौ सत्ताशि में कुछ लोगों ने एक साजिश रच कर मुसाफिरखाने की आराज़ी वक्फ से मुक्त करा लिया और उसको तीस साल की लीज पर ले लिया
इसके बाद से ही यह मुसाफिरखाना विवादों में आ गया लेकिन शहर की जनता इस खेल से बेखबर थी
लाखों रुपये महीने की होती है आमदनी
वर्तमान समय में इस मुस्लिम मुसाफिरखाने में लगभग पचास कमरे और तीन डारमेट्री हाल के अलावा दर्जन भर दुकानें हैं इससे लाखो रुपये की आमदनी मुसाफिरखाने को होती है
नियम कानून ताक पर रख कर चलाया जा रहा मुसाफिरखाना
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मुसाफिरखाने की कोई सोसायटी वजूद में नही है और न ही वक्फ में यह मुसफिरखाना दर्ज है इसके अलावा सराय एक्ट के तहत इसका कोई रजिस्ट्रेशन ही है
साथ ही जीएसटी और सरकार के अन्य तमान टैक्स के बारे में भी कोई जानकारी नही है जानकारों का कहना है कि नगर निगम का भी टैक्स बकाया है।
कुल मिलाकर नियम कानून ताक पर रख कर ये मुसाफिरखाना चलाया जा रहा है।
धार्मिक भूमाफिया और अन्य लोगों के कब्जे में है मुस्लिम मुसाफिरखाना
उन्नीस सौ सत्ताशी में राजनैतिक प्रभाव के इस्तेमाल।करते हुए इस मुसाफिरखाने की आराज़ी को तीस वर्ष की लीज पर ले लिया गया जिसकी मियाद दो हजार सत्रह में खत्म हो गई
वतर्मान समय में अब्दुल्लाह बाबू नाम के व्यक्ति खुद को इस मुसाफिरखाने का मालिक कहते हैं और यहां उन्हीं का हुक्म चलता है आपको बता दें कि अब्दुल्लाह बाबू को अगर धार्मिक भूमाफिया कहा जाए तो गलत नही होगा
शहर की जामा मस्जिद अंजुमन इस्लामिया समेत दर्जनों वक्फ के प्रमुख के पद पर इनका कब्ज़ा है मुस्लिम समाज की भलाई के लिए वक्फ की गई सैकड़ो एकड़ भूमि के मालिक बने हुए हैं
सूत्रों के अनुसार नगर मजिस्ट्रेट के न्यायालय से बेदखली हो जाने के बावजूद मुस्लिम मुसाफिरखाना अवैध रूप से संचालित हो रहा है कुल मिलाकर मुस्लिम मुसाफिरखाना के नाम से यहां की कमाई एक खास व्यक्ति की जेब में जा रही है जिसका मुस्लिम समाज या मुस्लिम मुसाफिरों से कोई लेना देना नही है
जिम्मेदार अधिकारी भी शायद इसीलिये सरकार बहादुर के नाम से नुजूल की इस जमीन पर बुलडोज़र चलवाना नही चाहते कि ये एक धर्म विशेष से जुड़ा है जबकि हकीकत बिल्कुल विपरीत है
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