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रायबरेली उन्नाव जरूरतमंदों की मदद का जज्बा यदि नही है तो इंसान कहलाने का भी नही है हक अंकित शुक्ला

 रायबरेली उन्नाव जरूरतमंदों की मदद का जज्बा यदि नही है तो इंसान कहलाने का भी नही है हक अंकित शुक्ला



अदिती न्यूज श्री न्यूज 24  पोर्टल यूट्यूब चैनल रायबरेली


संवाददाता प्रवीण सैनी लखनऊ 


ठंड से ठिठुरते देखा तो छेड़ दी गरीब गर्म कपड़े व कंबल दान करने की मुहिम अंकित शुक्ला


उन्नाव राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद संस्थापक अध्यक्ष अंकित शुक्ला के द्वारा पिछले कई वर्षों से गरीब, बेसहारा लाचार लोगों को सर्दी से बचाने के लिए  एक विशेष मुहिम चला रही है उसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए आज जनपद के विभिन्न जगह पर नये पुराने पहनने योग्य कपड़ों व कंबल का वितरण किया गया लगभग कई दर्जन गाँवों के लोगों को नये, पुराने गर्म कपड़े व कंबल वितरण कार्यक्रम आयोजित कपड़े एवं कम्बल  जिसमें लगभग कई हजारो जरूरतमंद लोगों को कपड़े वितरित किये गए। और अति जरूरतमन्द सैकड़ो लोगों को नये पुराने पहनने योग्य कपड़े और कम्बल वितरित किये गए। अंकित शुक्ला ने कहा कि इससे अधिक पुण्य कार्य भला और क्या हो सकता कि ठण्ड की मार से कराह रहे लोगों को अगर गर्म कपड़े मिल जाये तो वो लोग कितने खुश होंगे और कितनी दुआएँ देंगे वहां के लोगों ने कहा कि धन्यवाद के पात्र हैं ऐसे लोग जिन्होंने समय के इतने अधिक बदलते हुए परिवेश में भी मानवता का परिचय देने का कार्य किया अंकित शुक्ला ने कहा कि गरीबों की मदद से बढ़कर और कोई दूसरा कार्य नहीं है, गरीबों की मदद करने से भगवान खुश होते है जो लोग गरीबों की मदद करते हैं भगवान उनकी खुद मदद करते हैं।और लोग गरीबों की मदद में हाथ आगे बढ़ाते हैं ऐसे लोगों को ईश्वर हमेशा खुश रखते हैं अंकित शुक्ला ने कहा क्योंकि आज उन खुशियों का कोई मोल नहीं होता है जो खुशखुदक जो सीमित रहती है बल्कि खुशियां ती असल मायने में केस्त औरो के साथ बांस का विषय है कि हमे इंसान कहलाने कर हक क्या तब प्रातही आर जाएगा जब हमारे सामने भूख में कोई बिलबिला रहा हो और हम अपनी नेट में अनेको व्यंजन छोड़ रहे हो या हमारे सामने कोई गरीब जगह से बेचैन हो रहा हो और हम गर्म रजाई के अन्दर सदी का आनन्द उठा रहे हो नही हम इंसान कहलाने के तब अधिकारी होंगे, जब हम पहले औरों के साथ मानवता दिखाएं  बल्कि इंसान का बजूद तभी तक है जब तक वह अपनी खुशियों को भुलाकर औरों के गम बांटता रहेगा, अंकित शुक्ला द्वारा कड़ा गया कि हम कैसे इंसान है और किस एक से मानवता की बात करेंगे जी यदि हमारे सामने ठण्ड से ठिठुरकर कोई गरीब दम तोड़ देगा तो हम कैसे सेवक कहलाएंगे अंकित शुक्ला ने बताया की सेवा वह नाम होता है ठंडी गर्मी बारिश त्याग कर देता है और किसी भी परिस्थिति को अपने परिवार को त्याग कर देता है जब हम दूसरों की सेवा करना प्रारंभ कर देते हैं तो अपने घर में भी समय कम दे पाते हैं आज भीषण ठंड में वह बारिश हवा चल रही है तब कोई सेवक सड़क पर नहीं दिखाई दे रहा ऐसी सेवा किस काम की वहीं पर अंकित शुक्ला ने अपनी एक ऐसी पहल दिखाकर कई हजारों लोगों को कंबल कपड़े बताकर उनके चेहरों को खुशियों से भर दिया ऐसे सेवक को सलाम करते लोगों का दामन खिल उठा अंकित शुक्ला ने अपनी पूरी टीम के साथ ऐसी सेवा रात दिन बेसहारा लोगों को भोजन करते हैं एवं गौ सेवा पशु से लेकर शिशु तक की सेवा करने के योग्य की नायक माने जाते हैं ने आसपास के नहीं बल्कि प्रदेश भर में एक मुख्य सेवक का नाम दिया गया है

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