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शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है विवाह पंचमी - आचार्य सदाशिव तिवारी

 शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है विवाह पंचमी - आचार्य सदाशिव तिवारी 



अयोध्या - श्री राम लला गुरुकुल वैदिक पाठशाला अयोध्या धाम के आचार्य सदाशिव तिवारी ने बताया कि मार्गशीष शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को प्रभु श्रीराम और माता सीताजी का विवाह हुआ था इसलिए प्रत्येक वर्ष मार्गशीष शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाया जाता है।माता सीताजी राजा जनक की पुत्री हैं इसलिए भारत के साथ नेपाल में भी विवाह पंचमी उत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।जब सीताजी विवाह के योग्य हुई तो राजा जनक ने अपनी पुत्री के लिए स्वयंवर रचा और इसके लिए ये शर्त रखी कि जो कोई भी शिव जी के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा उसी के साथ सीताजी की शादी होगी।सीताजी के स्वयंवर में अनगिनत राजकुमार, राजे और महाराजे आये थे। एक-एक कर सबने कोशिश की परन्तु कोई शिवजी का धनुष को हिला तक नहीं पाया।सबके असफल हो जाने के बाद भगवान श्रीराम अपने गुरु की आज्ञा से शिव जी के धनुष के पास पहुँचे और बड़ी हीं आसानी से धनुष को अपने हाथों में उठा लिया।फिर भगवान श्रीराम जैसे हीं शिव जी के धनुष पर प्रत्यंचा लगाने चले शिव जी का धनुष टूट गया।रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते है- 

गुरहि प्रनामु मनहिं मन कीन्हा।

अति लाघवँ उठाइ धनु लीन्हा।

दमकेउ दामिनि जिमि जब लयऊ।

पुनि नभ धनु मंडल सम भयऊ।

लेत चढ़ावत खैंचत गाढ़ें।

काहुँ न लखा देख सबु ठाढ़ें।

तेहि छन राम मध्य धनु तोरा।

भरे भुवन धुनि घोर कठोरा।

स्वयंवर विजयी होने से माता सीताजी और प्रभु श्रीराम का विवाह हुआ।

रही भुवन भरि जय जय बानी। धनुष भंग धुनि जात न जानी।

मुदित कहहिं जहँ तहँ नर नारी। भंजेउ राम संभुधनु भारी।

वाल्मीकि रामायण में प्रसंग आता है कि - 

जनकानां कुले कीर्तिमाहरिष्यति मे सुता।

सीता भर्तारमासाद्य रामं दशरथात्मजम्

अर्थात् मेरी बेटी सीता,महाराज दशरथ जी के पुत्र श्रीरामचन्द्र जी को अपना पति बना कर मेरे वंश की कीर्ति फैलायेगी।

इसी वजह है कि विवाह पंचमी के दिन आज भी धूमधाम से भगवान राम और माता सीता का विवाहोत्सव मनाया जाता है।यह दिन उन लोगों के लिए बहुत शुभ माना जाता है जिनके विवाह में कोई बाधा आ रही है ऐसे व्यक्तियों को विवाह पंचमी के दिन विधि विधान से भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा करनी चाहिए इससे शादी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं साथ ही अच्छा जीवनसाथी प्राप्त होता है।इतना ही नहीं अगर शादीशुदा लोग इस व्रत को रखते हैं,तो दाम्पत्य जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती है।

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