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मानस महाकुंभ में प्रेमभूषण महाराज का अद्भुत धनुषभंग प्रसंग।

 मानस महाकुंभ में प्रेमभूषण महाराज का अद्भुत  धनुषभंग प्रसंग।


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नालासोपारा-पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज के व्यासत्व और बिजेंद्र रामचंद्र सिंह के संयोजकत्व में नालासोपारा पूर्व स्थित नौ दिवसीय मानस महाकुंभ की मुख्य यजमान श्रीमती मीरा बिजेंद्र सिंह हैं।विश्वामित्र के साथ यज्ञ रक्षा हेतु भगवान लक्ष्मण सहित अयोध्या से प्रस्थान करते हैं।भगवान की कथा जीव को जागृत कर देती है।ताड़का वध अहिल्या उद्धार के पश्चात प्रेमभूषण महाराज की कथा मिथिला प्रवेश करती है।इस प्रसंग में पूज्य सुंदर प्रेम सूत्र प्रदान करते हुए कहते हैं कि, गुरू से बारंबार प्रश्न करने से जीवन प्रकाशित होता है।पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज कर्तव्य को परिभाषित रकरते हुए कहा बड़े को कर्तव्य करके बड़ा होना चाहिए, बड़े होने की धौस नही जमाना चाहिए।सेवा कर्तव्य है,सन्मुख की सेवा नौकरी है, पीठ पीछे की सेवा कर्तव्य है, समर्पण है ।हमारा जीवन  स्तुत्य और सहज होना चाहिए।जीवन में सदैव आनंद को एकत्र करना चाहिए,आनंद चित्त के आश्रय में रहता है आनंद की अनुभूति हृदय में उपस्थित मन में होता है।साधु को सत्संग में आनंद आता है।मिथिला के वाटिका प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए पूज्यश्री ने कहा कि साधक की साधना की सिद्धि के लिए साध्य का होना परम आवश्यक है।गुण दोषमय संसार मे सुखी रहने के लिए गुणग्राही बन कर रहना चाहिए।

पंचोपचार पूजा की  सबसे सरल विधि है,गुरु शिष्य अलग नही है दोनों एक ही इकाई हैं।भजनात्मक श्रीरामकथा में पूज्यश्री ने लोकप्रिय भजन.. राम को देखकर जनक नंदिनी सुनाकर भावविभोर कर दिया।प्रेम अपना तोलना चाहिए दूसरे का कभी नही प्रेम ऊर्ध्वगमन कराता है कभी थकने नही देता।प्रेम का कोई परिमाण नही होता वह अपार होता है अतःजब भी जिससे भी हमारा प्रेम हो वह अपार हो इस प्रसंग को सरलता प्रदान करने के लिए पूज्यश्री ने ..दोष गैरों के तुम देखते ही रहे दोष अपने कभी भी निहारा नही.इस पद को सुनाकर श्रोताओं को इससे बचने की सलाह देते हुए कहा कि, दोष देखने की आदत पड़ जाने पर गुण नही दिखाई देता।निंदा और दोष दर्शन जीवन का सबसे बड़ा विकार है।भगवान का दर्शन होते ही मिथिला वाले उन्हें दूल्हा मानकर उत्सव भाव में मगन प्रसन्न हो जाते हैं।सियजी के हाथ जयमाल हो मंगल गीत गाँवई सारी सखियां.. सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया।पूज्यश्री ने कहा कि मनुष्य का स्वरूप उसका परिचय स्वयं दे देता है सर्वकाल स्मरण रखना चाहिए।

इस प्रकार पूज्यश्री के साथ सियालाडली शरण(भाई जी) की जुगलबंदी ने धनुषभंग और विवाह प्रसंग को सदा की भांति अद्भुत और अद्वितीय बनाते हुए कथा के चतुर्थ सत्र को विश्राम दिया। मुम्बई प्रधान गणेश अग्रवाल, राजेश एस. सिंह,कुंवर संजय सिंह,

 श्रीमती श्रद्धा प्रिंस सिंह,कुमारी शिवानी सिंह,, ,प्रभात सिंह बब्लू,सतीश सिंह,राजेश पाण्डे,डॉ शिवश्याम तिवारी, बाबा तिवारी, गणेश देसाई, नवीन सिंह,अनिल दूबे,अशोक सिंह आशावादी,अवनीश सिंह, वरिष्ठ पत्रकार लालशेखर सिंह, सनी सिंह, विशाल सिंह ननवग,त्रिभुवन पांडे,श्रीमती अशोका तिवारी,निशा शर्मा,आर. डी. सिंह, विजयभान सिंह एवं प्रेमभूषण महाराज के मीडिया प्रभारी दिनेशप्रताप सिंह ने भी अवगाहन करते हुए अपना सौभाग्यवर्धन किया।

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