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प्रयागराज महाकुंभ मंगलकारी है - पूज्य राजन महाराज।

 प्रयागराज महाकुंभ मंगलकारी है - पूज्य राजन महाराज।


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भाईंदर -  पूज्यश्री प्रेमभूषण जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त श्रीरामकथा वाचक पूज्य राजन जी महाराज के व्यासत्व और धर्मज्योति प्रचार सेवा संस्थान के आयोजकत्व में भाईंदर पूर्व जैसलपार्क चौपाटी पर स्थित बालाजी ग्राउंड में 25 जनवरी से 2 फरवरी तक चल रही नौ दिवसीय श्रीरामकथा में देश में सामाजिक विषमता फैलाने वालों को पूज्य राजन महाराज ने फटकार लगाते हुए कहा कि, राजनीति के कारण शूद्र को चतुर्थ श्रेणी में डाल कर नीच बना दिया गया, जबकि, शूद्र नीच कभी नही था, भगवान के चरणों से प्रगट होकर गंगा जी पतित पावनी हो गयीं तो उन्ही चरणों से प्रगट होकर शूद्र अछूत और नीच कैसे हो सकता है, शूद्र सर्वकाल पवित्र होता है, क्योंकि पूजा भगवान के चरण की ही  होती है अतः सामाजिक एकता को बनाये रखिए नही तो अपने को उच्च मानने वालों को कोई ऊंचा कहने वाला नही बचेगा।राष्ट्र,धर्म और समाज के शत्रुओं के इस षड्यंत्र को विफल और पराजित करने के लिए समाज में आपसी एकता को बनायें रखें, शूद्र अछूत नहीं होता भगवान की भक्ति न करने वाला व्यक्ति अछूत होता है,

इस समय लोकप्रियता के चरम पर चल रहे राजन महाराज के भजन.. राजा जी खजनवा दे द, को सुनकर  पंडाल में उमड़ा जन सैलाब मस्ती में नृत्य करने लगा, भगवान को पाने वाला जगत के साथ स्वयं भी खो जाता है, 


राजन महाराज ने भक्ति का उत्तम सिद्धांत बतलाते हुए कहा कि,अपने जीवन की भक्ति साधना को सदैव छुपा कर रखना चाहिए, महाकुंभ में व्यर्थ की ख़बरों को प्रचारित करने वाले पत्रकारों को निवेदित करते हुए पूज्य राजन जी ने कहा कि अमृत महाकुंभ में सनातन धर्म के सार तत्व को लेकर उपस्थित साधु संतों, महापुरुषों से दुनिया का परिचय करवाइये जिससे लोकमंगल होगा।-


अयोध्या से गुरू विश्वामित्र के साथ भगवान लक्ष्मण जी सहित बक्सर पहुँच कर ताड़का सहित सभी आसुरी शक्तियों का वध करके यज्ञ रक्षा करते हैं, इस मानस महोत्सव में मुख्य यजमान अनूप दान बहादुर सिंह, आयोजन संस्थान के अध्यक्ष नवीन रामधारी सिंह के साथ उनके सभी साथियों का उत्साह देखते ही बनता है। इस रामकथा में पूर्व विधायक गीता जैन, सुधाकर सिंह "बिसेन, शैलेश ठाकुर, दिनेशप्रताप सिंह, विनय चौबे, सरिता चौबे, श्रीमती अशोका तिवारी, सुधा दूबे आदि श्रद्धालुओं ने उपस्थित रह कर  अपना पुण्यवर्धन किया।

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