संतसंग श्रवण से पुण्य की प्राप्ति तथा ज्ञान चक्षु खुलते है -आचार्य सुशील बलूनी
संतसंग श्रवण से पुण्य की प्राप्ति तथा ज्ञान चक्षु खुलते है
-आचार्य सुशील बलूनी
@डीपी मिश्रा
बरखेडा ( पीलीभीत) बजाज हिन्दुस्थान शुगर लिमिटेड चीनी मिल बरखेड़ा में चल रहे पांच वें दिन स्थापत्य एवं वास्तु ज्ञान यज्ञ के मौके पर बोलते हुए आचार्य सुशील बलूनी ने कहा कि परिवार के सभी सदस्य प्रतिदिन प्रातः काल उठने के साथ ही वृद्ध माता-पिता, दादा-दादी तथा अपने से बड़ों के चरण स्पर्श करते हुए नमन करना चाहिए। बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलने से सुख -शांति का वातावरण बना रहता है। संतसंग में जाने से पुण्य की प्राप्ति तथा ज्ञान चक्षु खुलते है।साथ ही भगवान श्रीराम की लीलाओं का विस्तार से वर्णन करते हुए आचार्य जी ने कहा कि भगवान श्रीराम के चरित्र का अनुसरण प्रत्येक व्यक्ति को अवश्य करना चाहिए। कर्म पर निष्ठा में ही किसी भी फल की प्राप्ति छुपी होती है। हनुमान जी पर चर्चा करते हुए आचार्य बलुनी जी ने बताया कि सही गुरु अथवा देव प्राप्ति होने पर राम दूत हनुमान जी के समान समर्पित पूर्ण होकर पूरी ऊर्जा के साथ सच्चे मन से सेवा कार्य में जुटना चाहिये। ऐसा करने से ही हम सही मायने में राम दूत बन संसार में ख्याति व कल्याणकारी बनने की योग्यता प्राप्त कर सकते हैं।
आचार्य जी ने वास्तु शास्त्र की नियमों का विस्तार से उल्लेख करते हुए चौंसठ पद वास्तु, वास्तु पद विन्याश को विस्तार से समझाया। साथ ही घर के कोणों और दिशाओं में किन ग्रहों व देवों का वास है पर प्रकाश डाला गया। ब्रह्म स्थान-स्थान स्वामी-पृथ्वी के नाभिक तथा मनुष्य के नाभिक का संतुलन बनाने की विधि पर आचार्य सुशील जी ने विस्तार से व्याख्या की।
भोजन-श्वसन-जल पीने व निद्रा की आयुर्वेदिक शैली पर भी विस्तार पूर्वक चर्चा की गई।
कथा श्रवण करने निकटवर्ती ग्रामों से जानता जनार्दन की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
बजाज पब्लिक स्कूल व कालोनी के छात्र छात्र-छात्राओं में देवांश रजक, आयुष्मान सिंह, अदिति, दीपाली,शिवान्या, गर्विता ने मिलकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के पुत्र लव -कुश का मंचन कर सभी दर्शकों का मन मोह लिया।
इस अवसर पर बजाज हिन्दुस्थान शुगर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अजय शर्मा, सभी विभागाध्यक्ष तथा क्षेत्रीय किसान कमलेश शर्मा, सुभाष गंगवार, योगराज सिंह, देवेन्द्र गंगवार, हरिओम गंगवार, हेमंत गंगवार गोपाल गंगवार उपस्थित रहे।
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