धान में लगने वाले सामयिक कीट/रोग से बचाव हेतु किसान अपनाए आवश्यक उपाय।
धान में लगने वाले सामयिक कीट/रोग से बचाव हेतु किसान अपनाए आवश्यक उपाय।
श्री न्यूज़ 24 से अयोध्या मंडल ब्यूरो प्रमुख शुकुल बाजार अमेठी से रामधनी शुक्ला
जिला अमेठी जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा० राजेश कुमार ने बताया कि खरीफ में धान एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है, वर्तमान मौसम में वर्षा एवं तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण धान में लगने वाले सामयिक कीट/रोग के प्रकोप की सम्भावना बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में धान की फसल में दीमक एवं जड़ की सूठी, खैरा रोग, तना छेदक, पत्ती लपेटक, जीवाणु झुलसा एवं जीवाणुधारी रोग एवं खरपतवार के प्रकोप होने की सम्भावना एवं कीट/रोग के लक्षण परिलक्षित होने पर तत्काल दिए गए निम्न सुझाव एवं संस्तुतियों को अपनाकर किसान अपनी फसल का बचाव सुनिश्चित कर सकते है। इस क्रम में उन्होंने बताया कि संकरी एवं चौड़ी पत्ती खरपतवारों के नियंत्रण हेतु प्रेटिलाक्लोर 50 प्रतिशत ई०सी० 1.5 लीटर अथवा एनीलोफास 20 प्रतिशत ई०सी० 1.25-1.5 लीटर अथवा पाइराजोसल्ययूरान इथाइल 10 प्रतिशत डब्लू०पी० 0.15 किग्रा० का प्रति हे० 500-600 लीटर पानी में घोलकर फ्लैटफैन नॉजिल से 2 इंच भरे पानी में रोपाई को 3-5 दिन के अन्दर छिड़काव करें तथा विसपाइरीबैंक सोडियम 10 प्रतिशत एस०सी० 0.20 लीटर प्रति हे० रोपाई के 15-20 दिन बाद की स्थिति में 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि दीमक एवं जड़ की सूड़ी के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई०सी० 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करें एवं खैरा रोग नियंत्रण हेतु 5 कि०ग्रा० जिंक सल्फेट को 20 कि०ग्रा० यूरिया के अथवा 250 कि०ग्रा० बुझे हुए चूने को प्रति हेक्टेयर की दर से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें व तना छेदक से बचाव हेतु फेरोमोन ट्रैप (एस०बी० ल्योर) 6-8 प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए तथा इसके रासायनिक नियंत्रण हेतु क्यूनालफॉस 25 प्रतिशत ई०सी० 1.5 लीटर या फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस०सी० 1.0-1.5 लीटर को 500-600 लीटर पानी का घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से अथवा कास्टाप
हाइड्रोक्लोराइड 4 जी० की 18 किग्रा० मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 3-5 सेमी स्थिर पानी में बिखेर कर प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि पत्ती लपेटक कीट के नियंत्रण हेतु क्लोराइरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. 20 ली० अथवा क्यूनालफॉस 25 प्रतिशत ई.सी. 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें तथा जीवाणु झुलसा एवं जीवाणुपारी रोग जीवाणु झुलसा एवं जीवाणुधारी रोग के नियंत्रण हेतु स्यूडोमोनास फ्लोरिसेन्स 2 प्रतिशत ए०एस० 2 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से अथवा स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 70 प्रतिशत टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत की 15 ग्राम मात्रा को 500 ग्राम कापर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू०पी० के साथ मिलाकर 500-700 लीटर प्रति हेक्टेयर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। इस संबंध में उन्होंने बताया कि किसान अपनी फसल की समस्या के निदान हेतु सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली के मोबाइल न० 9452247111 एवं 9452257111 पर अपना पंजीकरण अथवा अपना नाम, ग्राम का नाम, विकास खण्ड का नाम जनपद का नाम लिखते हुए SMS/WhatsApp भेजें तथा घर पर रहते हुए किसान सम्बन्धित समस्या के निदान की सूचना 48 घण्टे के अन्दर मोबाइल नम्बर पर भेजी जायेगी एवं अधिक जानकारी के लिए अपने विकासखण्ड पर स्थापित कृषि रक्षा इकाई से सम्पर्क कर फसलों में लगने वाले कीट/रोगों के बारे में जानकारी एवं कृषि रक्षा रसायन प्राप्त कर सकते है।
श्री न्यूज़ 24 से अयोध्या मंडल ब्यूरो प्रमुख शुकुल बाजार अमेठी से रामधनी शुक्ला
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