हर पल रोने वाले की ज़िंदगी बोझिल हो जाती है-प्रेमभूषण महाराज।
हर पल रोने वाले की ज़िंदगी बोझिल हो जाती है-प्रेमभूषण महाराज।
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बिहार-मुजफ्फरपुर, पानी टंकी चौक पर स्थित जिला स्कूल प्रांगण में पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज के व्यासत्व में हरियाणा सेवासंघ के द्वारा 30 दिसम्बर तक आयोजित नौ दिवसीय रामकथा कैलाश पुरी पहुंचती है। माता पार्वती के प्रश्नों और भगवान शिव के उत्तर से अवतरित रामकथा का वर्णन करते हुए प्रेमभूषण महाराज ने श्रोताओं से निवेदित किया कि भगवान शिव कल्पतरु हैं शिवबाबा योग, ज्ञान और वैराग्य के खजाना है।मानस के व्यवहार घाट के ओजस्वी वक्ता प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि दुर्लभ वस्तु पास होने पर भी अविवेकी व्यक्ति उसका महत्व ना समझते हुए उसका उपयोग नही कर पाता और विवेकी व्यक्ति विषम परिस्थियों को भी अपने अनुकूल करके प्रसन्न रहता है। किंतु रोने का अभ्यास जिसको हो जाये वह हमेशा रोता ही रहता है।जीवन में हर पल रोने वाले की ज़िंदगी बोझिल हो जाती है क्योंकि ऐसे लोग अपनी समस्या से अधिक दूसरों की समस्या से परेशान रहते हैं। भगवान शिव और भगवान राम कभी दुःखी नही दिखाई देते।
रामकथा के अनुरागी को देखकर भोलेबाबा प्रसन्नता से गदगद हो जाते हैं।पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज ने अपनी रामकथा को विस्तार देते हुए कहा कि रामजी को जान लेने पर जगत मिथ्या हो जाता है उसी भगवान राम की भोलेनाथ वंदना करते हैं।
कथा का व्यवहार पक्ष कहता है कि कथा वक्ता के लिए श्रेयस्कर है कि वह यजमान की प्रशंसा करे।कथा स्वयं के लिए नही होती यह रामकथा तीन लोक चौदहों भुवन का मंगल करती है।भगवान शिव के अनुसार भगवान सर्वत्र हैं।भगवान के अगुण और सगुण रूप में कोई भिन्नता नही है। व्यक्ति के वास्तविक स्वरूप का पता क्रोध की स्थिति में पता चलता है।इसलिए आवेश से सदैव बचकर रहना चाहिए।
प्रेममूर्ति पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज ने रामजन्म के सभी कारणों का सविस्तार वर्णन करते हुए अयोध्या में चक्रवर्ती दशरथ के यहाँ भगवान के प्राकट्य उत्सव तक की कथा का गान किया।
प्रेमभूषण महाराज के "हर हाल में खुश रहना संतों से सीख जाएं", "दशरथ पुत्र जनम सुनि," अवध घर आनंद भयो जय रघुवर लाल की,"जायो कौशल्या जी ने लल्ला" आदि लोकप्रिय भजनों और बधाई गीतों पर कथा में उमड़ा जन सैलाब उल्लास से झूमता, थिरकता नज़र आ रहा था।

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