लुटता अभिवावक - स्कूल प्रबंधन मस्त - प्रशासन मौन
लुटता अभिवावक - स्कूल प्रबंधन मस्त - प्रशासन मौन
श्री न्यूज24/अदिति न्यूज
राजू सिंह
पलिया कलां
पलिया कलां से लेकर संपूर्णानगर तक प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के चलते अभिभावक लूटता चला जा रहा है मगर इसपर प्रशासन कोई पुख्ता कदम नहीं उठा रहा है स्कूल की मंहगी फीस फिर उस पर बच्चो के कोर्स का भारी वजन जिसमे भारी कमीशन स्कूल का भी जिसे दुकानदार बीच के दलाल के रूप काम करते है और स्कूल भी वही प्रकाशन चलाता है जिसमे दुकानदारों से भारी कमीशन तय होता है
आप को बता दें की स्कूल का कमीशन 60 प्रतिशत तक हो सकता है जिसका वजन सीधा वजन अभिभावक की जेब पर पड़ता है जिन किताबो की कीमत 20 से 30 रुपए होनी चाहिए वो किताबे 100 से भी ऊपर की कीमत में मिलती है और मजबूरन अभिवावको को किताबें लेनी पड़ती है क्यों की चुनिंदा दुकानों के अलावा दूसरी जगह वो किताबें नहीं मिलेंगी इससे गरीब बच्चो की शिक्षा के ऊपर भी बड़ा असर पड़ता है गरीब परिवार के बच्चे प्राइवेट स्कूल में नही पढ़ पाते जिससे कमजोर नीव उनके जीवन के लिए हानिकारक हो जाति है अगर सरकारी स्कूलों की बात करें तो इनकी हालत के बारे में किसी से भी छुपी नहीं है अगर छुपी है तो केवल अधिकारियों से क्यों की वो जान कर भी अंजान बने रहते है ।अब सवाल उठता है की गरीब अपने बच्चों के उज्वल भविष्य के लिए सोचे तो कैसे सोचे आखिर इसका जिम्मेदार कौन क्या इस पर प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है जिससे किताबों की कीमत उचित मूल्य पर अभिभावकों को मिले जिससे प्राइवेट स्कूल जब मोटी रकम फीस के नाम पर लेते है तो किताबों में मोटा कमीशन क्यों उन्हें मिलता है इस पर कमीशन देने वाले दुकानदारों पर भी करवाई क्यों नहीं होती ।
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