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देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर महिला एकता मंच द्वारा आयोजित किये कार्यक्रम

 देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर महिला एकता मंच द्वारा आयोजित किये कार्यक्रम



श्री न्यूज 24

सुरेन्द्र सैनी रामनगर संवाददाता


रामनगर-देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर महिला एकता मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लेखक एवं फिल्म निर्माता नीरा जलक्षेत्री ने कहा कि सावित्रीबाई फुले का भारत के इतिहास में उल्लेखनीय योगदान है। उन्होंने केवल महिलाओं के लिए ही स्कूल नहीं खोला बल्कि शुद्र, किसानों,श्रमिकों व समाज के वंचित वर्गों के लिए भी स्कूल खोलकर उन्हें शिक्षा प्रदान की।

उन्होंने कहा कि जब तक हर घर से सावित्रीबाई फुले नहीं निकलेगी तब तक देश में महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलना संभव नहीं है। दिल्ली से विशेष तौर पर कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित की गईं महिला नेत्री ने कहा कि नौ वर्ष की उम्र में सावित्रीबाई का विवाह ज्योतिबा फुले के साथ हो गया था। और उन्होंने घर पर ही पढ़ना-लिखना सीखकर धर्म ग्रंथो में महिलाओं के साथ बताई गई गैर बराबरी को समझा तथा महिलाओं और समाज को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने कहा कि अपने दौर में सावित्रीबाई फुले ने अपने हिस्से का काम किया, अब हम सब महिलाओं को मिलकर अपने हिस्से का काम करने की जरूरत है। महिला एकता मंच की संयोजक ललित रावत ने कहा कि बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा देने वाली सरकार की द्वारा 31 दिसंबर को आदमखोर टाइगर को पकड़े जाने की मांग कर रहीं महिलाओं एवं ग्रामीणों को सड़कों पर घसीट कर जन आंदोलन का बर्बर दमन किया गया। उन्होंने कहा कि विदेश से काला धन लाकर देशवासियों के बैंक खातों में 15 लख रुपए डाले जाने तथा 2 करोड़ रोजगार देने के वादे के साथ सत्ता पर आई मोदी सरकार जनता को धर्म जाति के नाम पर बताकर राजनीतिक रोटियां सेख रही है उन्होंने कहा कि भाजपा कांग्रेस जैसे दल एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। आने वाले  लोकसभा चुनाव में वोट मांगने वाले नेताओं का स्वागत काले झंडों के साथ किया जाना चाहिए। समाजवादी लोकमंच के संयोजक मनीष कुमार ने कहा कि आज देश में अरबपतियों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 16% बढ़कर 152 हो गई है। वहीं दूसरी तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट है कि बीमारियों का इलाज कराने के कारण पिछले कुछ वर्षों में 5.50 करोड़ से भी अधिक लोग गरीबों की रेखा के नीचे चले गये है। उन्होंने कहा कि देश के संविधान में स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया जाना चाहिए। सरकारी अस्पतालों में इलाज न मिल पाने के कारण सबसे ज्यादा इसकी पीड़ा महिलाओं को झेलनी पड़ रही है।सभा को साइंस फार सोसायटी की उषा पटवाल, किसान संघर्ष समिति के ललित उप्रेती,कमला बहन,अनीता सैनी, विद्यावती शाह ने संबोधित किया। संचालन सरस्वती जोशी ने किया। कार्यक्रम में ग्राम कालूसिद्ध,चैनपुरी, पूछड़ी आदि क्षेत्रों से आई महिलाओं ने बड़ी संख्या में भागीदारी की।

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