प्राइवेट स्कूलों और शिक्षा माफियाओं की जकड़ में अभिवावक, आइए उठाएं आवाज, शिक्षा में सुधार क्यों नहीं है चुनावी मुद्दा?
प्राइवेट स्कूलों और शिक्षा माफियाओं की जकड़ में अभिवावक, आइए उठाएं आवाज, शिक्षा में सुधार क्यों नहीं है चुनावी मुद्दा?
प्राइवेट स्कूलों द्वार पूरे भारत में अप्रैल मई का महीना बच्चो के माता पिता को लूटने का समय है बच्चे का नई कक्षा में एडमिशन अभिवावकों के लिए दर्द लेकर आता है उसका कारण है स्कूलों द्वारा हर साल 20% फीस में वृद्धि, एडमिशन फीस हर साल लेना, इससे काम नही चलता तो कमीशन के लिए हर साल नई किताबें , कापियां, ड्रेस और स्टेशनरी भी लेने के लिए परिजनों को बाध्य करना जिसके दाम हर साल 40% बढ़ते है,
इन किताबें में बड़ा खेल Workbooks का है अगर आपका 6 class का बच्चा अपने बड़े भाई की किताबो से पढ़ना चाहता है जो इसी साल 7th में गया है तो नहीं पढ़ सकता क्योंकि WorkBooks आपको खरीदनी पड़ेंगी जो पूरे सेट के साथ ही मिलंगी, स्कूलों का कमीशन सेट है किताबो की दुकान पर इसलिए शायद आपको रसीद भी न मिले,
इस बारे में श्री न्यूज़ 24 ने आम जनमानस सहित जिम्मेदारों को जागरूक करने का निश्चय किया है, आखिर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी चुनावी मुद्दा क्यों नहीं है?मण्डल कोर्डिनेटर राजकुमार सिंह श्री न्यूज़ 24
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