नई दिल्ली एक सौ पचास से अधिक थे अपराधिक मामले फर्जी जज बन दे डाला था दो हजार सात सौ चालीस अपराधियों को ज़मानत
उत्तर प्रदेश नई दिल्ली एक सौ पचास से अधिक थे अपराधिक मामले फर्जी जज बन दे डाला था दो हजार सात सौ चालीस अपराधियों को ज़मानत
अदिती न्यूज श्री न्यूज 24 पोर्टल यूट्यूब चैनल लखनऊ रायबरेली
संवाददाता प्रवीण सैनी लखनऊ रायबरेली
अपराधिक इतिहास पढ़कर चौक उठेगे आप ऐसे अपराधी की आज हो गई मौत
उसका नाम धनिराम मित्तल था। लोग उसको इंडियन चार्ल्स शोभराज और सुपर नटवर लाल भी कहते थे। उसके ऊपर एक सौ पचास से अधिक मामले दर्ज थे और उसे भारत का सबसे विद्वान और बुद्धिमान अपराधी भी कहा जाता था। सुपर नटवर लाल नाम से मशहूर धनीराम मित्तल की 85 साल के उम्र में हार्ट अटैक से मौत हो गई है। कानून में स्नातक की डिग्री लेने और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट एवं ग्राफोलॉजिस्ट होने के बावजूद उसने चोरी के जरिये जिंदगी गुजारने का रास्ता चुना था
धनीराम का जन्म हरियाणा के भिवानी में 1939 को हुआ था। माना जाता है कि उसने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़ और पंजाब जैसे विभिन्न राज्यों से एक हजार से अधिक कारें चुराई हैं। वह इतना शातिर था कि उसने खास तौर से दिल्ली हरियाणा राजस्थान और आसपास के इलाकों में दिन के उजाले में इन चोरियों को अंजाम दिया वह किसी भी राइटिंग की हूबहू नकल उतराने का मास्टर माना जाता था
पुलिस के मुताबिक, धनीराम पर जालसाजी के एक सौ पचास केस दर्ज थे उसने वकालत की डिग्री हासिल की थी और अपने मुकदमों की खुद ही पैरवी करता था। उसने फर्जी दस्तावेजों के जरिये रेलवे में नौकरी भी हासिल कर ली थी और वर्ष 1968 से चौहाटर के बीच स्टेशन मास्टर के पद पर काम किया हद तो तब हो गई जब वह फर्जी चिट्ठी के सहारे खुद ही जज बन बैठा और 2270 आरोपियों को जमानत दे दी
यह सत्तर के दशक की बात है धनी राम ने एक अखबार में झज्जर के एडिशनल जज के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश की खबर पढ़ी। इसके बाद उसने कोर्ट परिसर जाकर जानकारी ली और एक चिट्ठी टाइप कर सीलबंद लिफाफे में वहां रख दिया उसने इस चिट्ठी पर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार की फर्जी स्टैंप लगाई साइन किए और विभागीय जांच वाले जज के नाम से इसे पोस्ट कर दिया। इस लेटर में उस जज को दो महीने की छुट्टी भेजने का आदेश था इस फर्जी चिट्ठी और उस जज ने सही समझ लिया और छुट्टी पर चले गए
इसके अगले दिन उसी अदालत में हरियाणा हाईकोर्ट के नाम से एक और सीलबंद लिफाफा आया, जिसमें उस जज के दो महीने छुट्टी पर रहने के दौरान उनका काम देखने के लिए नए जज की नियुक्ती का आदेश था इसके बाद धनीराम खुद ही जज बनकर कोर्ट पहुंच गए सभी कोर्ट स्टाफ ने उन्हें सच में जज मान लिया वह चालीस दिन तक नकली मामलों की सुनवाई करते रहे और हजारों केस का निपटारा कर दिया। धनी राम ने इस दौरान 2740 आरोपियों को जमानत भी दे दी
माना जाता है कि धनीराम मित्तल ने फर्जी जज बनकर अपने खिलाफ केस की खुद ही सुनवाई की और खुद को बरी भी कर दिया इससे पहले कि अधिकारी समझ पाते कि क्या हो रहा है मित्तल पहले ही भाग चुका था इसके बाद जिन अपराधियों को उसने रिहा किया या जमानत दी थी उन्हें फिर से खोजा गया और जेल में डाल दिया गया
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