मिथिला का प्रेम अर्थ से नही,परमार्थ से है - प्रेमभूषण जी महाराज
मिथिला का प्रेम अर्थ से नही,परमार्थ से है - प्रेमभूषण जी महाराज
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लखनऊ- प्रेम उत्सव और सेवा भारत भूमि पर ही संभव है-यह उद्द्गार पूज्यश्री प्रेमभूषण महाराज ने व्यास पीठ से व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी प्रियता जिससे जितनी होती है उसकी पीड़ा में हमें भी उतनी ही पीड़ा होती है।बाबा तुलसी का प्रबंधन श्रीरामचरित मानस प्रेमग्रंथ है यह प्रेम-व्यवहार का बोध करवाता है।पूज्यश्री की श्रीरामकथा ताड़का वध, अहिल्या उद्धार के पश्चात मिथिला प्रवेश करती है। विदेहभूमि मिथिला को प्रेम और भक्ति भूमि की संज्ञा प्रदान करते हुए पूज्यश्री ने कहा कि,भक्ति मणि माँ सीताजी के प्राकट्य से मिथिला में आनंद वर्षण हो रहा था ऐसे में जगत जननी मां सीता का वरण करने श्रीअवध धाम से भगवान स्वयं मिथिला पहुँचते हैं, ऐसी अलौकिक मिथिला की धन्यता अवर्णनीय है। पुष्पवाटिका प्रसंग के वर्णन में पूज्यश्री ने कहा, कि, सनातन संस्कृति के अनुसार किसी अन्य की वस्तु को बिना पूछे लेना वर्जित है यह चौर्य वृत्ति मानी गयी है। अपनी क्षमता से अधिक की प्राप्ति आहरण वृत्ति होती हैअतः सर्वकाल इससे बचना चाहिए।
व्यक्ति को दर्शन, पूजन,तीरथआदि का
सुअवसर जीवन में जब कभी भी प्राप्त हो उंसे गंवाना नही चाहिए,यह व्यर्थ नही जाता इसका फल हमें नही तो हमारी संतति को अवश्य प्राप्त होता है। अयोध्या में भाजपा की हार पर मिठाई बाँटकर जश्न मनाने वाले राजनीतिक दल को सुंदर संदेश देते हुए कहा कि, बहुत उत्साहित होने की आवश्यकता नही है जो भगवान की सेवा करता है, उंसे फल देर से ही सही किन्तु मिलता जरूर है। किसी की प्रियता को केवल सेवा और समर्पण से ही प्राप्त किया जा सकता है।भाजपा ने धर्म और भगवान की सेवा किया है फल अवश्य मिलेगा।पूज्यश्री ने कहा कि जगत जननी माँ जगदंबा वरदायिनी हैं नौरात्रि में माँ की आराधना आडंबर और प्रदर्शन मुक्त होकर करने से फल अवश्य मिलता है।
मिथिला का प्रेम अर्थ से नही, परमार्थ से है।आपद अवस्था में देव प्रार्थना करना चाहिए।धन,ऐश्वर्य, सफलता को अपनी बुद्धि और पुरुषार्थ का परिणाम न मान कर ईश्वर की करुणा प्रसादी मानना चाहिए।ईमानदार आदमी से अधिक दिमाग बेईमान लगाता है।दुःख में भगवान की शरणागति से हमारा रक्षण होता है।हमेशा की तरह पूज्यश्री के साथ सियालाडली शरण(भाई जी)की तबले पर जुगलबंदी से धनुषभंग प्रसंग जीवंत, अद्भुत और अद्वितीय रहा जिसे देखकर उपस्थित जनमानस रोमांचित हो उठा। प्रसंगानुसार पूज्यश्री के श्रीमुख से मोहक भजनों,. सखियन संग जनक दुलारी पूजन गौरी चली.,मिथिला शहर गुलज़ार री सखी मिथिला.,सियाजी के हाथ जयमाल हो., दुल्हा के रंग आसमानी लली रंग बादामी आदि सुनकर भाव- विभोर होकर थिरकने पर मजबूर हो गए।इस प्रकार श्रीसीताराम सरकार के विवाह का मंगल महोत्सव पूज्यश्री ने पूर्ण किया।
तुलसी जयंती के पावन उपलक्ष्य में सुशांत गोल्फ सिटी दयाल बाग में 10 से 18 अगस्त 2024 तक आयोजित इस नौ दिवसीय श्री रामकथा के मुख्य संकल्पी उत्तरप्रदेश सरकार में मंत्री(स्वतंत्र प्रभार,)दयाशंकर सिंह और सह आयोजक राजेश सिंह दयाल हैँ।
इस श्रीरामकथा महोत्सव में प्रमुख अतिथि के रूप में पधारे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारी रामाशीषजी, तिलोई से विधायक मयंकेश्वर शरण सिंह,उ. प्र.सरकार में कैबिनेट मंत्री श्रीमती बेबीरानी मौर्या, श्रीमती श्रद्धा राजपूत, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री दिनेशप्रताप सिंह ने भी कथा श्रवण का पुण्य-लाभ प्राप्त किया।
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