Click now

https://bulletprofitsmartlink.com/smart-link/41102/4

सूर्य उपासना का अनूठा लोकपर्व है छठ पूजा:-आचार्य हिमांशु शुक्ल

 सूर्य उपासना का अनूठा लोकपर्व है छठ पूजा:-आचार्य हिमांशु शुक्ल 



काशी:-आचार्य हिमांशु शुक्ल ने बताया कि छठ पूजा सूर्य उपासना का अनूठा लोकपर्व है।लोग इस दौरान सूर्य देव के साथ साथ सूर्य देव की बहन छठी मईया की भी पूजा करते हैं। वहीं इस पावन पर्व को लेकर महाभारत, विष्णु पुराण,ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि धर्म ग्रंथों में छठ पर्व बताने वाले कई कथाएं वर्णित हैं।एक पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब कुष्ट रोग से पीड़ित थे,जिसके चलते मुरलीधर ने उन्हें सूर्य आराधना की सलाह दी। कालांतर में साम्ब ने सूर्य देव की विधिवत व सच्चे भाव से पूजा की। भगवान सूर्य की उपासना के फलस्वरूप साम्ब को कुष्ट रोग से मुक्ति मिल गई।इसके बाद उन्होंने 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण करवाया था। इनमें सबसे प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर है, जो ओडिशा में है। इसके अलावा, एक मंदिर बिहार के औरंगाबाद में है। इस मंदिर को देवार्क सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है।ऐसा माना जाता है कि चिरकाल में जब देवताओं और असुरों के मध्य युद्ध हुआ,तो इस युद्ध में देवताओं को हार का सामना करना पड़ा। उस समय देव माता अदिति ने इसी स्थान पर देवार्क सूर्य मंदिर पर संतान प्राप्ति हेतु छठी मैया की कठिन तपस्या की। इस तपस्या से प्रसन्न होकर छठी मईया ने अदिति को तेजस्वी पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया था। कालांतर में छठी मईया के आशीर्वाद से आदित्य भगवान का अवतार हुआ।आदित्य भगवान ने देवताओं का प्रतिनिधित्व कर देवताओं को असुरों पर विजय दिलाई।तभी से पुत्र प्राप्ति,संतान व परिवार की सुरक्षा हेतु छठ पूजा की जाती है, जिसके शुभ फल से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और जीवन सुखमय रहता है।एक कथा के अनुसार इस पर्व की शुरुआत महाभारत काल में कर्ण ने की थी। कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त था। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देता था। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बना था।आज भी छठ पर्व के दौरान सूर्यदेव को अर्घ्य दान की कर्ण प्रणीत पद्धति ही प्रचलित है।

कोई टिप्पणी नहीं