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विकास प्राधिकरण के सचिव सतेंद्र सिंह की सम्पत्ति एवं आय से अधिक जांच के लिए CBI और लोकायुक्त से की गई शिकायत ,

 विकास प्राधिकरण के सचिव सतेंद्र सिंह की सम्पत्ति एवं आय से अधिक जांच के लिए CBI और लोकायुक्त से की गई शिकायत



आजादी की लड़ाई के लिए भगत सिंह फांसी चढ़े, मैं भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए फांसी चढ़ने को तैयार



अदिति न्यूज़ श्री न्यूज़ 24 अयोध्या 


ब्यूरो रिपोर्ट उमाशंकर तिवारी अयोध्या 


अयोध्या

बुधवार को भारतीय पत्रकार सुरक्षा कवच के अध्यक्ष, अंतरिक्ष तिवारी ने विकास प्राधिकरण सचिव, सतेंद्र सिंह से कुछ सवाल पूछे, जिनका जवाब न केवल अप्रत्याशित था, बल्कि अत्यधिक असम्मानजनक भी था। जब उन्होंने भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों पर सवाल किया, तो अधिकारी ने संविधान पर ही सवाल खड़े कर दिए। सतेंद्र सिंह ने यह तक कह दिया, “प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से कह दो, मेरा जो करना है, कर ले।” इस तरह के अपमानजनक और गैरजिम्मेदाराना शब्दों का इस्तेमाल करके उन्होंने न केवल मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का अपमान किया, बल्कि भारत के संविधान को भी तौला और पत्रकारिता के मूल्यों का उल्लंघन किया। यह शब्द न केवल एक सरकारी अधिकारी की सत्ता और पद के दुरुपयोग का उदाहरण थे, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी पत्रकारिता की स्वतंत्रता का भी अपमान था।


इस अभद्र और अपमानजनक व्यवहार के बाद, अंतरिक्ष तिवारी ने न केवल सतेंद्र सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, बल्कि अपनी और उनके परिवार की संपत्ति की भी जांच करवाने का फैसला किया। उन्होंने CBI दिल्ली, CBI लखनऊ, लोकायुक्त लखनऊ और मुख्यमंत्री कार्यालय से शिकायत की और उनके खिलाफ एक विस्तृत जांच की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने संगठन के माध्यम से सतेंद्र सिंह और उनके परिवार की संपत्ति, फ्लैट, मकान, वाहन, आभूषण, और अन्य चल-अचल संपत्ति की जनसूचना मांगी है। यह कदम न केवल व्यक्तिगत भ्रष्टाचार को उजागर करने की दिशा में था, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, बच नहीं सकता।


अंतरिक्ष तिवारी ने इस मामले में अपने विचार साझा करते हुए कहा, "एक ओर प्रधानमंत्री जी भ्रष्टाचार मुक्त भारत का नारा दे रहे हैं, और दूसरी ओर जब कोई निष्पक्ष पत्रकार किसी अधिकारी से भ्रष्टाचार से संबंधित सवाल पूछता है, तो वही अधिकारी अपने पावर का दुरुपयोग करता है। वह या तो उस पत्रकार को फंसा देता है, या उसे डराकर भगा देता है। लेकिन पत्रकार जो निष्पक्ष, निर्भीक और निडर होता है, वह इन धमकियों से डरता नहीं है। उसे यह समझ है कि सत्य ही उसका कर्तव्य है और उसी सत्य के लिए वह जीवन के अंतिम क्षण तक लड़ाई लड़ता रहेगा। वह जानता है कि देश और समाज की सेवा ही उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।"


अंतरिक्ष तिवारी ने अपने बयान में यह भी कहा कि “मैं भगत सिंह की तरह नहीं हूं, लेकिन भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए अगर मुझे अपनी जान भी देनी पड़ी, तो मैं पूरी तरह से तैयार हूं। अगर इस देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करना है, तो हमें इन अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ खड़ा होना होगा, जो अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। मैं विश्वास करता हूं कि मेरी कलम और मेरे शब्द देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने में सक्षम हैं। मैं उस राह पर चलने के लिए तैयार हूं, जिस पर चलकर समाज में बदलाव लाया जा सकता है।”


यह घटना न केवल अयोध्या में बल्कि पूरे देश में पत्रकारों के प्रति प्रशासनिक रवैये और भ्रष्टाचार से संबंधित गंभीर सवाल उठाती है। जब तक पत्रकारिता की स्वतंत्रता को इस तरह से दबाया जाएगा, तब तक लोकतंत्र को खतरा रहेगा। ऐसे में यह जिम्मेदारी हमारी बनती है कि हम अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ करें। हमें हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य सच्चाई को उजागर करना है, न कि किसी व्यक्ति या पार्टी का पक्ष लेना।


अंतरिक्ष तिवारी ने इस पूरे घटनाक्रम के बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, “हमने हमेशा अपने कर्तव्यों को निष्ठा और सत्य के साथ निभाया है। यदि किसी अधिकारी, नेता या किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ हम सवाल उठाते हैं, तो इसका उद्देश्य केवल समाज की भलाई और देश की सेवा है। हमारा उद्देश्य कभी भी व्यक्तिगत लाभ या फायदे के लिए नहीं होता है।”


अंतरिक्ष तिवारी ने इस अवसर पर उन पत्रकारों से भी अपील की, जो भ्रष्टाचार और अन्य अपराधों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, कि वे किसी भी दबाव के सामने न झुकें और सच्चाई के साथ खड़े रहें। उन्हें अपनी आवाज को मजबूती से उठाना चाहिए, क्योंकि देश की आवाज वही है जो सही और सच्चे मुद्दों को उठाती है।



सादर,

अंतरिक्ष तिवारी

राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय पत्रकार सुरक्षा कवच

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