जीवन मे सत्कर्म परिवार के साथ ही करें- पूज्य राजन महाराज
जीवन मे सत्कर्म परिवार के साथ ही करें- पूज्य राजन महाराज
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भाईंदर-पूज्यश्री प्रेमभूषणजी महाराज के कृपापात्र शिष्य पूज्य राजन महाराज जी के व्यासत्व में जैसलपार्क चौपाटी पर धर्मज्योति प्रचार सेवा संस्थान के तत्वावधान में 25जनवरी से चल रही नौ दिवसीय श्रीरामकथा में पूज्य राजन महाराज ने कहा कि,कभी भी किसी संत महापुरूष से व्यापार- लाभ के उपाय नही पूछना चाहिए। अपने मंगल के लिए भगवत चरणों में नेह,निष्ठा बढ़ने का उपाय पूछना चाहिए।मानस सिद्धांत के अनुसार संत के दर्शन से पाप समाप्त हो जाते हैं।
अयोध्या कांड को मानस का हृदय बतलाते हुए पूज्य राजन महाराज ने कहा कि,परिवार में ढंग से जीने के लिए अयोध्याकाण्ड की शरण मे जाना चाहिए,यह पारिवारिक दुख को समाप्त कर देता है।
शेक्सपियर को पढ़ने से पहले दुनिया के लिए शोध का विषय बन चुके मानस का अध्ययन करें।
अपनी भाषा, अपनी संस्कृति और अपने राष्ट्र पर अभिमान होना चाहिए।राम जपते रहो, काम करते रहो पद को सुनाकर यह संदेश दिया कि अपने कार्य को निष्ठा पूर्वक करते हुए भगवान का स्मरण करना चाहिए।रामनाम के जप से जीवन जंजाल मुक्त हो जाता है।वनवास प्रसंग का मार्मिक वर्णन करते हुए राजन महाराज ने कहा कि कौशल्या माता ने राम को जन्म दिया तो कैकेयी माता ने वनवास देकर मर्यादा पुरूषोत्तम बना दिया इसलिए माता कैकेयी की कभी निंदा न की जाए।।जिससे प्रेम हो उसकी बुराई कभी न सुनी जाए,इससे प्रेम संबंध सदैव बना रहता है।कभी भी किसी संत महापुरूष से व्यापार- लाभ के उपाय नही पूछना चाहिए,अपने मंगल के लिए भगवत चरणों में नेह,निष्ठा बढ़ने के उपाय पूछना चाहिए।मानस सिद्धांत के अनुसार संत के दर्शन से पाप समाप्त हो जाते हैं।
केवट प्रसंग पर पूज्य राजन जी ने कहा कि, केवट यह जानते हैं कि राम ब्रह्म हैं इसलिए उनके पैर पखारना चाहते हैं।मांगी नाव न केवट आना.. के भाव को निवेदित करते हुए कहा कि,भक्त का मान रखने के लिए भगवान दाता से याचक बन जाते हैं।केवट लक्ष्मण जी के क्रोध पर भी निडर होकर मरने से नही डरे और कहा कि, मर कर भी रामजी का नाम लेकर तर जाऊंगा। केवट से पहले भगवान के चरणामृत पान की परंपरा नही थी, चरणामृत पान की परंपरा यहीं से प्रारंभ हुई। रामजी के सामने जो गिरता है उसे राम जी उठा लेते हैं। केवट को उतराई देते समय सीता जी ने रामजी के संकोच को समझकर अपनी मुद्रिका भेंट करते हुए कहा कि, मेरी मर्यादा आपके हाथ है,इस सोने की मुदरी में नही है,पत्नी के लिए पति की मर्यादा सर्वोपरि होती है।
जीवन में जो भी प्राप्त हो उसे पर्याप्त मानने वाला सदैव सुखी रहता है।जीवन मे सुख प्राप्ति के इस उत्तम प्रेमसूत्र को निवेदित किया।केवट प्रसंग की कथा में पूज्य राजन महाराज तोरे गोड़वा के धुरिया से डर लागेला.. और रामजी उतरेंगे पार हो गंगा मइया धीरे बहो जैसे भावपूर्ण भजन सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया।
आयोजन के मुख्य यजमान अनूप दान बहादुर सिंह, अध्यक्ष नवीन रामधारी सिंह और उनके सहयोगियों शारदा प्रसाद पाण्डे, आनंद पाण्डे,,विनय चौबे,सरिता चौबे, प्रीति पांडे के बीच अतिथि के रूप में उपस्थित होकर वरिष्ठ पत्रकार शिवपूजन पाण्डे, प्रवासी संदेश के संपादक राजेश उपाध्याय,, सुधाकर सिंह "विसेन' नरेंदर सिंह, विजय सिंह, दिनेशप्रताप सिंह आदि श्रद्धालुओं ने भी इस मानस मंदाकिनी में अवगाहन करके पुण्य लाभ अर्जित किया।
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