धर्माचरण ही आत्मकल्याण की कुंजी है।
धर्माचरण ही आत्मकल्याण की कुंजी है।
@डीपी मिश्रा
बरखेडा (पीलीभीत) बजाज हिन्दुस्थान शुगर लिमिटेड चीनी मिल बरखेडा में चल रहे सात दिवसीय स्थापत्य एवं वास्तु ज्ञान के चौथे दिन कथा व्यास आचार्य सुशील बलूनी जी ने वास्तु शास्त्र के पूरक विषय संख्या ज्योतिष पर विस्तार से चर्चा की। आचार्य जी ने नौ अंकों के साथ -साथ शून्य एवं अनंत पर विशेष बल देते हुए बताया कि स्वयं को शून्य से विभाजित कर अनंत की प्राप्ति करना ही जीवन का परम उद्देश्य है। सातों वारों के नाम से सात ग्रह हैं, इसके अतिरिक्त राहु व केतु छाया ग्रह के रूप में विद्यमान हैं।
आचार्य बलुनी जी ने कहा कि धर्म को जानने वाला दुर्लभ होता है, उसे श्रेष्ठ तरीके से बताने वाला उससे भी दुर्लभ, श्रद्धा से सुनने वाला अत्यंत दुर्लभ और धर्माधर्म का आचरण करने वाला सुबुद्धिमान सबसे दुर्लभ होता है।
इस अवसर पर आये किसान फूल चंद आचार्य, ज्ञान सिंह, सुभाष गंगवार, हरीश गंगवार व भारतीय स्टेट बैंक पीलीभीत के चीफ मैनेजर ज्ञानेन्द्र सिंह, उनके सहायक नीरज कुमार को युनिट हेड ने सभी को साल ओढ़ाकर सम्मानित किया। श्रोताओं में मुख्य रूप से आशीष त्रिपाठी, दीपक राना,निलेश सिंह,विनय पांडेय,रजत सिंघल, पियूष मिश्रा, मनोज शुक्ला सहित काफी संख्या में महिलाएं एवं बच्चे व किसान उपस्थित रहे।
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