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बसंतकालीन गन्ना बुवाई एवं गन्ने में लगने वाले कीट-रोग के संबंध जागरूकता बढ़ाने हेतु चीनी मिल खम्भारखेड़ा द्वारा कृषक संगोष्ठी का किया गया आयोजन.

बसंतकालीन गन्ना बुवाई एवं गन्ने में लगने वाले कीट-रोग के संबंध जागरूकता बढ़ाने हेतु चीनी मिल खम्भारखेड़ा द्वारा कृषक संगोष्ठी का किया गया आयोजन.


@डीपी मिश्रा

खम्भारखेड़ा (खीरी) 

बजाज हिन्दुस्थान शुगर लिमिटेड चीनी मिल खम्भारखेड़ा द्वारा ग्राम ज्ञानपुर में बसंतकालीन गन्ना बुवाई एवं गन्ने में लगने वाले कीट-रोगों के सम्बन्ध जागरुकता हेतु एक वृहद कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गन्ना विकास परिषद, खम्भारखेडा के ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक  सुरेश कुमार चैधरी, बजाज चीनी मिल खम्भारखेड़ा के इकाई प्रमुख  अवधेश कुमार गुप्ता, महाप्रबंधक (गन्ना) पुष्पेंद्र ढाका, सहायक महाप्रबंधक (गन्ना) राजेन्द्र सिंह,  कमल कुमार सहित  काफी संख्या में किसान उपस्थित रहे।


इकाई प्रमुख द्वारा किसानों को उन्नत खेती के महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये  तथा बसंतकालीन गन्ना बुवाई, भूमि शोधन, बीज शोधन, एवं अधिकतम उत्पादन तकनीकों के साथ साथ सहफसली खेती के लाभों पर किसानों को जागरूक किया। उन्होंने किसानों को गन्ने की पंक्ति से पंक्ति की न्यूनतम दूरी 4 फिट रखने, मृदा परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरकों का उपयोग करने और नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाने की सलाह दी।

इस अवसर पर ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक  सुरेश कुमार चौधरी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रतिबंधित एवं अस्वीकृत गन्ना प्रजातियों की बुवाई न करें। उन्होंने बसंतकालीन बुवाई हेतु को.0118, को.15023, को.लख.14201, को.शा.13235, को.लख.16202, को.शा.17231, को.शा.13231, को.98014 एवं को.लख.94184 जैसी उन्नतिशील गन्ना प्रजातियों को अपनाने की सलाह दी। साथ ही, उन्होंने ट्रेंच विधि से बुवाई करने एवं बीज व भूमि को ट्राइकोडर्मा तथा फफूंदनाशक घोल से उपचारित करने पर विशेष जोर दिया। साथ ही विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाने हेतु कृषकों को आगाह किया।

महाप्रबन्धक 'गन्ना ' पुष्पेन्द्र ढाका ने किसानों को गन्ने की फसल पर लगने वाले प्रमुख कीटों एवं बीमारियों के प्रभावी नियंत्रण के उपाय बताए। उन्होंने स्वीकृत गन्ना किस्मों, बीज उपचार (थायोफिनेट मिथाइल द्वारा), भूमि उपचार (ट्राइकोडर्मा द्वारा), सिंगल बड तकनीक, ट्रेंच विधि, जैविक खाद, संतुलित उर्वरक प्रयोग एवं पेड़ी प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की।

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