कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए दिल्ली सरकार का कठोर कदम। जानिए श्री न्यूज़ 24/अदिती न्यूज़ के माध्यम से मण्डल कॉर्डिनेटर राजकुमार सिंह के साथ.......
कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए दिल्ली सरकार का कठोर कदम। जानिए श्री न्यूज़ 24/अदिती न्यूज़ के माध्यम से मण्डल कॉर्डिनेटर राजकुमार सिंह के साथ.......
दिल्ली सरकार ने कल से ‘एंड-ऑफ-लाइफ’ यानी तय सीमा से अधिक पुराने वाहनों पर सख़्त पाबंदी लागू कर दी है। अब 15 साल या उससे पुराने पेट्रोल वाहन और 10 साल या उससे पुराने डीज़ल वाहन दिल्ली की सड़कों पर नहीं चल पाएंगे। पेट्रोल पंपों पर ऐसे वाहनों की निगरानी के लिए कैमरे लगाए गए हैं और इन्हें ईंधन देने से मना किया जाएगा।
सरकार ने यह फैसला दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए लिया है। आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी में इस दायरे में आने वाली ऐसी लगभग 65 लाख गाड़ियां हैं।इस फैसले का असर सबसे अधिक निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग पर पड़ने वाला है।
वे लोग जो 5 से 7 साल तक EMI भरकर किसी तरह एक गाड़ी खरीद पाते हैं। दर्जनों टैक्स भरते हैं।
इस मामले में सरकार का दोहरा रवैया दिखाई देता है।
इस बात को ऐसे समझिए -
जब भी विश्व में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण को लेकर सम्मेलन होते हैं, तो विकसित देश भारत जैसे विकासशील देशों पर दबाव बनाते हैं कि वे अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करें।
भारत का जवाब होता है कि जलवायु संकट की ऐतिहासिक जिम्मेदारी उन्हीं विकसित देशों की है जिन्होंने लंबे समय तक औद्योगिकीकरण और भारी प्रदूषण के जरिए पर्यावरण को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में विकासशील देशों पर समान जिम्मेदारी थोपना न्यायसंगत नहीं है।
बिल्कुल ठीक बात!!
तो क्या अपने देश में पर्यावरण और प्रदूषण पर नीति बनाते समय यह बात नहीं सोची जा सकती है।
पर्यावरण की रक्षा के नाम पर सबसे पहले बलि दी जा रही है -
उस तबके की, जो पहले से आर्थिक बोझ में दबा है।
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