नवरात्रि के पावन अवसर पर रामलीला का मंचन किया गया
नवरात्रि के पावन अवसर पर रामलीला का मंचन किया गया
श्री न्यूज 24
प्रिंस पांडेय
जिला संवाददाता
प्रतापगढ़
नवरात्रि के पावन अवसर पर तहसील क्षेत्र के देव ग्राम दुखियापुर में धर्म और संस्कृति की धारा बहती दिखाई दी। यहाँ पर पूरे भक्ति भाव और उत्साह के साथ रामलीला का मंचन किया गया।
भारत की संस्कृति में रामलीला का विशेष महत्व है। इसका इतिहास 16वीं सदी से जुड़ा है, जब संत गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की और अयोध्या से लेकर बनारस तक रामलीला के आयोजन की परंपरा आरंभ हुई। इसके बाद यह परंपरा गांव-गांव और नगर-नगर तक फैली और आज भी हर वर्ष नवरात्रि के दिनों में रामलीला का मंचन आस्था, संस्कृति और आदर्शों का जीवंत प्रतीक बनकर सामने आता है।
इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए दुखियापुर के मंच पर गांव के बालक एवं बालिकाओं ने अद्भुत अभिनय प्रस्तुत किया। जब प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के जूठे बेर ग्रहण किए तो पूरा वातावरण भावविभोर हो उठा। इस दृश्य ने गांववासियों को यह संदेश दिया कि ईश्वर के लिए भक्ति और श्रद्धा ही सबसे बड़ा पूजन है।
मंचन के दौरान मानसी, शिवानी, श्रेया, भूमि, संध्या, रितु, ईशा, अन्यया, दिव्यांश और नीतेश पांडेय ने अपनी भूमिकाओं को जीवंत किया। वहीं सहयोग के रूप में शिखा पांडे और महिमा ने अपने अभिनय से सबका दिल जीत लिया।
रामलीला के माध्यम से ग्रामीणों ने न केवल श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करने की शिक्षा ली, बल्कि साथ ही यह भी समझाया गया कि मां दुर्गा की शक्ति और प्रभु श्रीराम का आदर्श जीवन हर इंसान को सत्य, धर्म और कर्तव्य की ओर अग्रसर करता है।
इस आयोजन से यह स्पष्ट हुआ कि चाहे समय कितना भी बदल जाए, भारतीय संस्कृति की जड़ें आज भी गहरी हैं और नई पीढ़ी इन परंपराओं को आगे बढ़ाने में पीछे नहीं है।

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