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ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल सराय नाहर राय,पुरातत्व विभाग ने की थी खुदाई ,मिले थे साक्ष्य

 ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल सराय नाहर राय,पुरातत्व विभाग ने की थी खुदाई     ,मिले थे साक्ष्य



पुरातत्व विभाग ने खुदाई वाले स्थान को कंटीले तारों स घेर कर सुरक्षित किया 

श्री न्यूज़ 24 से अयोध्या मंडल ब्यूरो प्रमुख शुकुल बाजार अमेठी से रामधनी शुक्ला की बड़ी खबर ।।

जिला प्रतापगढ़  अद्वैत दशरथ तिवारीमानधाता विकास खंड मानधाता के सराय नाहर   राय गांव में दस हजार    साल  पराने मानव द्वारा     बनाए गए स्थलों की    खोज की गई थी। पुरातत्व विभाग (एएसआई), ने, 1969-1973 में खुदवाई करवाई थी।उस स्थल को कंटीले तारों से घेर कर  सुरक्षित कर रखा है।गाटा संख्या 1936 रक्बा साढ़े पांच बीघा खतौनी में दर्ज है।



पुरातत्व विभाग ने दस हजार साल पहले के पुराने मानव कंकाल खोजें थे,,जब न तो खेती होती थी और न ही बर्तन बनते थे।मानव शिकार करना और जंगलों में जीवन व्यतीत होता था। खुदाई के दौरान 11 समाधियां और 15 मानव कंकाल मिले थे। कुछ संमाधियों   में एक साथ कई लोग दफन मिले थे। मानों एक परिवार या समूह के रहे हों। हड्डियों के साथ जानवरों की हड्डियां और आग के निशान भी मिले थे। अनुमान था कि लोग मांस को पकाकर खाते थे।

खुदाई में मिट्टी के बर्तन और कृषि उपकरण नहीं मिला था। अनुमान था कि मध्य पाषाण काल का रहा होगा।

वैज्ञानिक प्रमाण -  रेडियो कार्बन टेस्ट से पता चला कि यह स्थल स्थल करीब 10,000 साल पूराना रहा था।जो प्राचीन गंगा सभ्यता के पहले का रहा होगा।

उस समय     का जीवन -, उस समय लोग नदियों के किनारे तथा झीलों के पास रहते थे।    माइक्रो लिरिक औजारों (छोटे पत्थरों के औजार) से शिकार करते थे।वन्य जीवन,आग और पत्थर उनके मुख्य साधन थे।

जगह की खासियत - दक्षिण एशिया    के सबसे पुराने मानव   कंकाल यहीं मिले थे। बताते हैं कि गंगा घाटी में         सभ्यता की शुरुआत कैसे हुई? इतिहास और पुरातत्व की दृष्टि से      यह स्थल एक खजाना है।


मानधाता के  सराय नाहर राय गांव के संजीव कुमार मिश्र ने बताया  कि मानव इतिहास की  एक कहानी छिपी हुई है।जिसे पुरातत्व विभाग ने    सुरक्षित  कर रखा है।    जिसे दवरिरया बरा के नाम से जाना जाता है।





श्री न्यूज़ 24 से अयोध्या मंडल ब्यूरो प्रमुख शुकुल बाजार अमेठी से रामधनी शुक्ला

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