पूरे राजस्व कर्मचारियों के साथ पहुंचे एसडीएम विवादित भूमि की करने नपाई, गांव के लोग दिखे नाराज
पूरे राजस्व कर्मचारियों के साथ पहुंचे एसडीएम विवादित भूमि की करने नपाई, गांव के लोग दिखे नाराज
श्री न्यूज24/अदिति न्यूज़
राजू सिंह
पलिया कलां
कोर्ट का आदेश दिखाकर विवादित भूमि पर नपाई करने पर पहुचा तहसील प्रशासनिक अमला। आपको बता दें कि एक तरफ भूमि विवादों को देखते हुए योगी सरकार काफी सुर्खियों में है। वहीं कोर्ट का हवाला देते हुए क्षेत्र के लोगों के लिए एक मुसीबत प्रशासन और खड़े कर रहा है। आस पास के लोगों ने बताया है कि थाना सम्पूर्णानगर क्षेत्र के ग्राम त्रिकौलिया में विवादित भूमि के लिए तहसील प्रशासन और कर्मचारी पूरी तरह से खाली है मगर क्षेत्रों में समस्याओं के लिए साहबों के पास टाइम तक नहीं है। आखिर इस विवादित भूमि में प्रशासन को इतनी दिलचस्पी क्यों है जबकि इस भूमि के लिए पक्ष विपक्ष और आस पास के खेत स्वामियों को एक साथ बुलाकर सुलह समझौता कराते हुए गंम्भीरता से विचार विमर्श कर हल निकालना चाहिए था। मगर पैसे और रसूख दारो के आगे सारा सिस्टम कटपुतली हो गया है।
कोट के आदेश विवादित भूमि पर पैमाने कराने पहुंचा सरकारी अमला।
1-पीएससी भरी गाड़ी
4- थानों की पुलिस अधिकारी व कर्मचारी
1 दर्जन से अधिक कानूनगो लेखपाल मौजूद रहे।
जिनके रहते हुए भूमि को पैमाईश की गई। इस दौरान नपाई में आ रही गांव वासियों की भूमि पर आस पास के लोगों ने अधिकारियों से कहा कि यह विवादित भूमि आप सब लोग नपाई कराएं लेकिन हमारी जगहों को नाप कर पूरी कौन करेंगा। वही तहसीलदार आशीष कुमार सिंह ने लोगों को शान्त करतें हुए कहा किसी के साथ अन्याय नहीं होगा और जिसकी जितनी जगह है सभी की उतनी ही रहेगी। हमें सिर्फ कोई के आदेश मिले हैं उन्ही को देखते हुए पैमाईश की जा रही है।
एक साथ इतने अधिकारियों को देख हर तरफ तरह तरह की हुई चर्चाएं।
थाना सम्पूर्णानगर के परसपुर त्रिकौलिया गांव में जब अधिकारियों का जमावड़ा विवादित भूमि पर पहुंचा तो तमाम लोग तरह तरह की चर्चाएं करने लगें। किसी ने कहा कि जगहों से संबंधित तमाम मुद्दे हैं पर प्रशासनिक अधिकारियों को सिर्फ इसी भूमि के लिए पूरी तरह से फुर्सत है जबकि देखा जाए तो न जाने तहसील पलिया में सैकड़ों शिकायते लम्बित पड़ी हुई है क्या तहसील प्रशासन और राजस्व कर्मचारियों को उस पर भी इस तरह से कार्रवाई करनी चाहिए जिससे भूमि विवादों की फाइलें गर्द खाती हुई कुछ हद तक खत्म हो सकें पर ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं देता क्योंकि यहां तो सारा सिस्टम ही पैसे और दबंगों के आगे झुक चुका है किसी को भी उन भूमि के लिए टाईम नहीं जिनके लिए जनता दरबार और समाधान दिवस लगाएं जातें हैं।

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