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लखनऊ सोनभद्र महीनों से एक मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति भटक रहा डाला में कोई सुध लेने वाला नहीं

 लखनऊ सोनभद्र महीनों से एक मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति भटक रहा डाला में कोई सुध लेने वाला नहीं 



अदिती न्यूज श्री न्यूज 24 पोर्टल यूट्यूब चैनल रायबरेली


संवाददाता प्रवीण सैनी लखनऊ 


डाला सोनभद्र  आज हम भले ही चांद पर झंडा बुलंद कर या फिर जी ट्वेंटी की मेजबानी कर फक्र महसूस कर रहे हैं लेकिन धीरे- धीरे हम विकास की इस भाग-दौड़ में मानवता को खोते जा रहे हैं कुछ समय पहले एक अज्ञात मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति को लेकर एक खबर प्रकाशित की थी कि कैसे डाला में एक मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति इधर-उधर भटक रहा है जो कभी दुर्घटना का शिकार हो सकता है लोगों का कहना है कि चेहरे व बातचीत से व्यक्ति अच्छे घर का प्रतीत होता है लेकिन वह कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं है  खबर प्रकाशित किये जाने के बाद लोग इससे जुड़ने लगे और लोगों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाना शुरू कर दिया  जिसके बाद नगर पंचायत डाला बाजार की अधिशासी अधिकारी देवहूति पांडे ने खबर का सज्ञान लिया और बीते मंगलवार को कार्यालय पर ईओ ने बातचीत के दौरान बताया था कि मेरे द्वारा इस मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति को जिले में स्थित शेल्टर होम में भेजे जाने का पहल किया जा रहा था लेकिन वहां उसका मानसिक चिकित्सकी आदि की सुविधा नहीं होने के कारण उसे नही भेजा जा सका मामले में जानकारी मिली कि जिले से बाहर स्थित मानसिक शरण स्थल अस्पताल में भेजने के लिए संबंधित समक्ष अधिकारी के द्वारा दिए गए आदेश पर ही उसे भेजा जा सकता है लगातार खबर प्रकाशित होने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता नागेंद्र पासवान में भी इस मामले में डाला ईओ से मोबाइल पर बात किया इतना ही नहीं सामाजिक कार्यकर्ता राणा सुभाष राव अंबेडकर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोर्टल पर शिकायती प्रार्थना पत्र प्रेषित कर अवगत कराया और लिखा कि नगर पंचायत डाला बाजार तहसील ओबरा जिला सोनभद्र में एक मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति काफी दिनों से घूम रहा है अब बीमार प्रतीत हो रहा है  उक्त मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति को आश्रय और इलाज की तत्काल जरूरत है  कृपया उक्त मानसिक व्यक्ति को आश्रय और इलाज की व्यवस्था कराने की कृपा करें जिससे उक्त मानसिक व्यक्ति ठीक होकर अपने घर परिवार में वापस जा सके। लेकिन बड़ा सवाल है कि डाला के स्थानीय लोग उसके मदद के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन जिले के बड़े अफसरों की आज तक मानवता ही नहीं जगी वरना एक व्यक्ति जिंदगी और मौत से हर दिन जूझ रहा है लेकिन हुक्मरानों को कोई फर्क तक नहीं पड़ता । ऐसे में बड़ा सवाल तो यह भी है कि ऐसे तरक्की व विकास किस काम का जब हम एक दूसरे के काम न आ सके और उसकी मदद के लिए ऊपर के आदेश निर्देश का इंतजार करना पड़े

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