Click now

https://bulletprofitsmartlink.com/smart-link/41102/4

राम मंदिर केस मे बहस के मुख्य तत्थयतिमिक अंश

 राम मंदिर केस मे बहस के मुख्य तत्थयतिमिक अंश 



राम मंदिर केस पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान के दो रोचक दृश्य -: जज : मस्जिद के नीचे दीवारों के अवशेष मिले हैं।

मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा : वो दीवारें दरगाह की हो सकती हैं।

जज : लेकिन आपका मत तो यह है कि मस्जिद खाली जगह पर बनाई गई थी ... ?? 

किसी ढ़ांचे को तोड़कर नहीं।

वकील : सन्नाटा

जज : एसआईटी की खुदाई में कुछ मूर्तियां मिली हैं।

वकील : वो बच्चों के खिलौने भी हो सकते हैं।

जज : उनमें वराह(सूअर) की मूर्ति भी मिली है जो हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार थे...

क्या मुसलमानो में सूअर की मूर्ति के साथ खेलने का प्रचलन था ... ?

वकील: घना सन्नाटा ..!!

वेदों में श्रीराम तो हैं ही... अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमिका भी सटीक उल्लेख है !!

वह दृश्य था उच्चतम न्यायलय का...

श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वादी के रूप में उपस्थित थे धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी... जो विवादित स्थल पर श्रीराम जन्मभूमि होने के पक्ष में शास्त्रों से प्रमाण पर प्रमाण दिये जा रहे थे...

न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति मुसलमान था... उसने छूटते ही चुभता सा सवाल किया, "आपलोग हर बात में वेदों से प्रमाण मांगते हैं... तो क्या वेदों से ही प्रमाण दे सकते हैं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में उस स्थल पर ही हुआ था.. ?"

जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी (जो प्रज्ञाचक्षु हैं) ने बिना एक पल भी गँवाए कहा, "दे सकता हूँ महोदय "

और उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थानविशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है ।

कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई... 

और उसमें जगद्गुरु जी द्वारा निर्दिष्ट संख्या को खोलकर देखा गया और समस्त विवरण सही पाए गए... जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है... विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर है... और जगद्गुरु जी के वक्तव्य ने फैसले का रुख हिन्दुओं की तरफ मोड़ दिया...

मुसलमान जज ने स्वीकार किया, "आज मैंने भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार देखा... एक व्यक्ति जो भौतिक आँखों से रहित है, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल वाङ्मय से उद्धरण दिये जा रहा था.. ? यह ईश्वरीय शक्ति नहीं तो और क्या है ?"

अब कोई ये मत कहना कि वेद तो श्रीराम के जन्म से पहले अस्तित्व में थे... उनमें श्रीराम का उल्लेख कैसे हो सकता है.. ?

वेदों के मंत्रद्रष्टा ऋषि त्रिकालज्ञ थे... भूत, भविष्य और वर्तमान, तीनों का ज्ञान रखते थे ...

(श्रीराम की महिमा तीनों कालों में है... कालाबाधित... लोकविश्रुत...)

llचहुँ जुग चहुँ श्रुति नाम प्रभाऊll

llकलि विशेष नहिं आन उपाऊ ll

इस बेंच में रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर शामिल थे.मण्डल कोर्डिनेटर राजकुमार सिंह की रिपोर्ट

कोई टिप्पणी नहीं