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महिला सशक्तिकरण को मिला बढ़ावा: स्वयं सहायता समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर बनीं अमेठी की तमन्ना बेगम।

महिला सशक्तिकरण को मिला बढ़ावा: स्वयं सहायता      समूह  से जुड़कर    आत्मनिर्भर बनीं अमेठी की तमन्ना बेगम।




श्री  न्यूज़ 24  से अयोध्या मंडल   ब्यूरो प्रमुख शुकुल बाजार अमेठी से रामधनी शुक्ला   की    बड़ी  खबर


अमेठी   । जिलाधिकारी संजय चौहान  एवं मुख्य विकास अधिकारी सूरज पटेल के     मार्गदर्शन में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की दिशा में स्वयं सहायता समूहों की पहल निरंतर सकारात्मक परिणाम दे रही है। जनपद अमेठी की ग्राम पंचायत कनू, विकासखंड संग्रामपुर     निवासी 33 वर्षीय तमन्ना बेगम इसकी मिसाल हैं, जिन्होंने समूह से जुड़कर न केवल अपने परिवार की आर्थि क स्थिति    सुधारी, बल्कि अन्य महिलाओं के  लिए भी    प्रेरणा   स्रोत बनीं। तमन्ना बेगम ने 12वीं तक शिक्षा प्राप्त की और गृहणी    के रूप में जीवन व्यतीत       कर  रही थीं। परिवार     की आजीविका केवल पति की कोचिंग पर निर्भर थी, जिसकी सीमित आय     से घर   का खर्च चलाना     कठिन हो गया था। आर्थिक    तंगी और संघर्ष ने जीवन को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया था। जनवरी 2021 में उन्होंने अल्शमा     महिला  स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अध्यक्ष   का       दायित्व संभाला। समूह से जुड़ने के बाद उन्हें प्रशिक्षण, जानकारी और पूंजी की उपलब्धता हुई, जिससे उनके जीवन में बदलाव की   शुरुआत   हुई। वर्ष 2022 में ग्राम पंचायत में बीसी सखी पद हेतु भर्ती में आवेदन कर वे चयनित हुईं। वर्तमान में वे बीसी सखी के रूप में कार्यरत हैं और    प्रतिमाह   लगभग ₹6000-8000 की आय    अर्जित कर रही हैं। इसके साथ ही वर्ष 2024 में उन्होंने पेपर प्लेट बनाने की   मशीन   खरीदी और स्वरोजगार शुरू किया। इस इकाई से वे न केवल स्वयं अतिरिक्त ₹4000-8000 मासिक आय   अर्जित   कर रही हैं, बल्कि समूह की अन्य महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। आज तमन्ना   बेगम  का परिवार आत्मनिर्भर और सशक्त हो चुका है। पहले की आर्थिक कठिनाइयाँ समाप्त हो गई हैं और वे अपने ग्राम     की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। जिलाधिकारी       संजय चौहान एवं मुख्य विकास अधिकारी सूरज पटेल ने उनकी सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए जिला कार्यक्रम प्रबंधक, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीसी-एनआरएलएम) को निर्देश दिए कि अधिक से अधिक महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा जाए। साथ ही, गठित समूहों की आजीविका गतिविधियों    में वृद्धि के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएँ ताकि जनपद की और भी महिलाएँ आत्मनिर्भर बन सकें।

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