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टीपू सुल्तान का काला सच।।

 टीपू सुल्तान का काला सच।।



टीपू सुल्तान को इतिहास की किताबों में शेर ए मैसूर और मैसूर का बाघ पढ़ाया गया क्योंकि हमारे गद्दार इतिहासकारों ने लिखा ही यही है।

लंदन स्थित ब्रिटिश लाइब्रेरी जहां इंडियन ऑफिस रिकार्ड्स में 18 वीं शताब्दी की ब्रिटिश भारतीय संधियों के मूल दस्तावेज रखे गए हैं उसी में रंगपट्टनम में हुई संंधि के पाठ की प्रतियां और संबंधित दस्तावेज आज भी सुरक्षित रखे हुए हैं।

यह दस्तावेज चीख-चीख कर बताते हैं कि टीपू सुल्तान निकृष्ट नीच किस्म का कायर साशक था और देश के गद्दार ने कैसे उस कायर टीपू सुल्तान को शेर और बाघ के रूप में महिमा मंडित किया।


एक के बाद एक लगातार तीन आंग्ल मैसूर युद्ध हारने के बाद श्रीरंगपटनम की संधि हुई संंधि के अनुसार आधे राज्य का क्षेत्र अंग्रेजों और निजाम और मराठों को देना पड़ा।

इसके साथ 3.3 करोड़ रूपए युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में दंड भरना पड़ा।

इस रकम को देने के लिए गारंटी के रूप में टीपू सुल्तान ने अपने दो बड़े बेटों को अंग्रेजों के पास गिरवी रखा था।

लेकिन अंग्रेज नहीं माने तो बाकी दो बेटों को भी अंग्रेज़ों के पास गिरवी रख दिया।


टीपू सुल्तान के चार बेटों के नाम थे।


1- अब्दुल खालिक

2- मुईनुद्दीन

3- मुहुनुद्दीन 

4- अब्दुल सुल्तान 


इस तरह टीपू सुल्तान ने अपने चारों बेटों को 1791 से 1794 तक अंग्रेजों के पास गिरवी रखा था।


1794 में पूरी रकम चुकाने के बाद अंग्रेजों ने उसके चारों बेटों को लौटा दिया।


1799 में टीपू सुल्तान गुलामी की हालत में चौथा युद्ध लड़ते लड़ते मर गया।


सोचिए जो व्यक्ति युद्ध में शर्मनाक हार के बाद अपने चारों बेटों को गिरवी रख चुका था  उसे आजाद भारत के गद्दार इतिहासकारों ने शेर और बाघ बताकर महिमा मंडित किया बेशर्म निर्लज्ज कांग्रेसी उसकी जयंती पर नंगे होकर नाचने को लालायित रहते हैं। मण्डल कॉर्डिनेटर राजकुमार सिंह श्री न्यूज़ 24/अदिति न्यूज़

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