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रायबरेली अलीगढ़ दिमागी तरंगों के अनियंत्रित होने से पड़ते हैं मिर्गी के दौरे-डॉ.नागेश

 रायबरेली अलीगढ़ दिमागी तरंगों के अनियंत्रित होने से पड़ते हैं मिर्गी के दौरे-डॉ.नागेश



अदिती न्यूज श्री न्यूज 24 पोर्टल यूट्यूब चैनल  रायबरेली


पत्रकार संजय मिश्रा शिवगढ़ रायबरेली 



अलीगढ़ भारत में प्रतिवर्ष सत्रह नवंबर को मिरगी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए राष्ट्रीय मिरगी दिवस मनाया जाता है इतना ही नहीं विश्व में पांच करोड़ से भी अधिक लोग मिर्गी की बीमारी से ग्रसित हैं औऱ प्रतिवर्ष लगभग  पच्चास नए मरीज प्रति एक लाख पर जुड़ जाते हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि ज्यादातर लोग लगभग  अस्सी4प्रतिशत विकासशील देशों के है ये बातें अलीगढ़ के प्रख्यात न्यूरोसर्जन डॉ. नागेश वार्ष्णेय ने मिरगी जागरूकता दिवस पर एक बातचीत में कहीं।उन्होंने कहा कि अपने देश में लगभग दस लाख से ज्यादा मरीज मिर्गी के रोग से पीड़ित हैं इतना ही नहीं यह इतनी खतरनाक बीमारी है कि इसमें कभी कभी मरीज के जान तक जाने का खतरा होता है औऱ रास्ते में अचानक दौरा पड़ने से व्यक्ति दुर्घटना का शिकार भी हो सकता है डॉक्टर साहब के अनुसार मिर्गी के रोगियों के लिए कुछ कारण जिम्मेदार माने जाते हैं जिसके कारण मिर्गी होने की संभावना अधिक होती हैं यदि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में कोई चोट लगी हो तो मिर्गी होने की संभावना  होती है औऱ किसी महिला के डिलीवरी के समय बी  पी बढ़ने से दिमाग में सूजन आने से भी मिर्गी आने लगती है इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में कोई इंफेक्शन हो गया हो तो भी मिर्गी आने लगती है व जिन व्यक्तियों को स्ट्रोक एवं ब्रेन ट्यूमर की समस्या होती है उनको भी मिर्गी की शिकायत हो सकती है किसी कारण से व्यक्ति के सिर में चोट या फिर किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैवहीं कम उम्र में यदि किसी के तेज बुखार या फिर कोई तपेदिक रोग से पीड़ित रहा हो तो भी मिर्गी का शिकार हो सकते है छः महीने से पांच वर्ष तक के बच्चों को तेज बुखार के चलते भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है औऱ यदि मिर्गी का मरीज कहीं रास्ते में हो तो उसकी मदद जरूर करनी चाहिए जिससे उसका जीवन बच सके डॉक्टर नागेश ने बताया कि विश्व में अस्सी फीसद लोगों को मिर्गी का समय से इलाज नही हो पाता है जिससे उनके लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है डॉ. साहब ने कहा कि हमारे दिमाग में हर समय बिजली की तरंग चलती रहती हैंऔर जब ये तरंगे अनियंत्रित हो जाती हैं तो दौरे पड़ने शुरू हो जाते हैं दिमाग की उत्तेजना सामान्य बनाये रखने के लिए रसायन कारक न्यूरो ट्रांसमीटर पाए जाते हैं।यह दिमाग की प्रक्रियाओं को सामान्य बनाये रखते हैं जब उत्तेजक रसायन कारक न्यूरो ट्रांसमीटर ज्यादा मात्रा में हो जाते हैं तो दौरों की उत्पत्ति होती है औऱ पूरी दुनिया में दौरों के सत्तर प्रतिसत मरीज विकासशील व अविकसित देशो में हैं सही से इलाज मिलने पर सत्तर से अस्सी फीसद मरीज सही हो जाते हैं।मिर्गी संक्रामक रोग नहीं होता साथ ही दौरे को मिर्गी तब कहा जाता है जब ऐसे दौरे बार बार पड़ते हैं।यह दुनिया की सबसे पुरानी बीमारियों में से एक है इसलिए इन मरीजों से भेदभाव नहीं करना चाहिए व समय पर उचित चिकित्सक से इलाज कराना नितांत ही जरूरी है मिरगी का उपचार दवाओं और शल्य-क्रिया के द्वारा किया जा सकता है पर इस रोग का उपचार लगातार कराने की आवश्यकता रहती है कभी-कभी इस रोग का उपचार तीन से पांच वर्ष तक चलता है सामान्यतया मिर्गी का रोगी तीन से पांच वर्ष तक औषधि लेने के बाद स्वस्थ हो जाता है परंतु यह सिर्फ  सत्तर से अस्सी प्रतिशत रोगियों में ही संभव हो पाता है व अन्य दवा रोधी मिर्गी रोगियों के लिए ऑपरेशन आवश्यक हो सकता है डॉक्टर साहब ने कहा कि यदि घर के किसी सदस्य को मिर्गी की समस्या है तो उसके लिए कुछ सावधानियां है जो आपको बरतनी चाहिए यदि किसी व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़ा है तो बिल्कुल भी घबराएं नही बल्कि स्थिति को कंट्रोल करने की कोशिश करें औऱ पीडित व्यक्ति से पास से धारदार और हानि पहुचांने वाली वस्तुओं को दूर रख दें।यदि पीड़ित व्यक्ति की जीभ बाहर आती है तो उसके मुंह में कुछ मत डालें पीड़ित व्यक्ति की गर्दन यदि किसी तंग कपड़े से कसी है तो उसे पूरी तरह अलग कर दें और उसके सिर के नीचे आराम दायक ताकिया लगा दें औऱ मिर्गी पीड़ित व्यक्ति को चिकित्सक की सलाह के अनुसार प्रतिदिन योग एवं दवाओं के सेवन की याद दिलाते रहें इसके अलावा सिर की चोट से बचें गर्भावस्था में मां की समुचित जांच व देखभाल दिमागी पक्षघात से बचें जैसे बी.पी नियन्त्रण,डायबिटीज नियन्त्रण भी परम आवश्यक है मिरगी से पीड़ित रोगियों को चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित रूप से दवाओं का सेवन करना चाहिए औऱ यदि उन्हें दौरा नहीं पड़ता है तो भी उन्हें चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवाओं का सेवन करना चाहिए व रोगियों को अपने चिकित्सक की सलाह के बिना दवाओं का सेवन बंद नहीं करना चाहिएमिरगी से पीड़ित रोगियों को किसी भी तरह की अन्य दवाओं का सेवन करते समय उन दवाओं के संभावित दुष्प्रभावों या किसी भी तरह की अन्य जटिलताओं से बचने के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए औऱ शराब का सेवन न करें। शराब का सेवन दौरा पड़ने की संभावना को विकसित करता है

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