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मृतक व्यक्ति भी महाविद्यालय का शिक्षक

 मृतक व्यक्ति भी महाविद्यालय का शिक्षक 



महाविद्यालय अनुमोदित शिक्षकों की सूची में मृतक का नाम शामिल करते हुए वेतन के नाम पर गबन का आरोप


श्री राम जानकी महाविद्यालय रामनगर अमावा सूफी से जुड़ा है मामला



अदिति न्यूज़ श्री न्यूज़ 24 अयोध्या 


ब्यूरो रिपोर्ट उमाशंकर तिवारी अयोध्या






मिल्कीपुर अयोध्या

मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र स्थित श्री राम जानकी महाविद्यालय रामनगर अमावा सूफी में हुए फर्जी बाड़े का जिन्न एक के बाद एक निकलता जा रहा है। डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या से संबद्ध श्री राम जानकी महाविद्यालय रामनगर अमावा सूफी में अनुमोदित शिक्षकों की सूची में मृतक व्यक्ति का नाम शामिल कर उसके नाम से भुगतान प्राप्त किए जाने का बड़ा मामला प्रकाश में आया है। जहां जानकारी के बाद उच्च न्यायालय इलाहाबाद के अधिवक्ता एवं खंडासा थाना क्षेत्र के इछोई गांव निवासी पवन कुमार पांडे ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से शिकायत कर प्रकरण में कार्यवाही की गुहार की है। शिकायतकर्ता एडवोकेट पवन कुमार पांडे ने मुख्यमंत्री कोऑपरेटिव शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि वह वर्तमान में इलाहाबाद में ही रहकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वकालत करता है और भारत सरकार का सीसीसी भी रह चुका है। उन्होंने डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या से संबंधित (123) श्री राम जानकी महाविद्यालय रामनगर अमावा सूफी अयोध्या के प्रबंधक व प्राचार्य ने अन्य लोगों के साथ विचार विमर्श करने के उपरांत विभिन्न लोगों की मदद से पहले दिनांक 1 जुलाई 2017 को फर्जी वह कोर्ट रचित प्रपत्रों के जरिए हिंदी विषय हेतु कोड नंबर आर एम एल 9148 के तहत विनोद कुमार पुत्र लालता प्रसाद जिनकी जन्म तिथि 1 जुलाई 1985 है, का अनुमोदन करते हुए नियुक्ति की और बाद में उनके निधन के पश्चात भी उनको दिए जाने वाले वेतन को फर्जी तरीके से भुगतान दर्शाकर उसका गबन कर लिया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि मृतक शिक्षक का नाम महाविद्यालय के अनुमोदित शिक्षकों की सूची में क्रमांक 136 पर अंकित है। उक्त मृतक शिक्षक खंडासा थाना क्षेत्र के ही शिवदासपुर ग्रंट बनकटवा का निवासी था। जिसकी मृत्यु विगत कोरोना काल में ही हो चुकी है। बताते चलें कि उक्त अधिवक्ता के प्रकरण में ऐसे ही खांडसा थाने में तैनात एक दरोगा राहुल कुमार पांडे द्वारा मुकदमे की विवेचना के दौरान मृतक व्यक्ति का बयान अंकित कर दिया गया था। मामले में अधिवक्ता की शिकायत के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा उक्त दरोगा को निलंबित भी किया जा चुका है। अब देखना है ऐसे गंभीर मामले मे विश्वविद्यालय प्रशासन आखिर कौन सी कार्यवाही करेगा और उस कार्यवाही की जद में कौन-कौन आएंगे। फिलहाल ऐसे गंभीर फर्जी बाड़े की जानकारी मिलते ही क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

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