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हरित व कौशल क्रांति अगुआ बनाने के लिये मुख्यमंत्री से मिले कृपाशंकर सिंह

 हरित व कौशल क्रांति अगुआ बनाने के लिये मुख्यमंत्री से मिले कृपाशंकर सिंह 




जौनपुर

 उत्तर प्रदेश को हरित व कौशल क्रांति अगुआ बनाने के लिये पूर्व गृहराज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर उनको एक मॉडल प्रस्तुत किया जिससे किसानों की आय बढ़ाने एवं लागत घटाने हेतु पंचायत स्तर पर सरकारी अनुदानित हार्वेस्टर उपलब्ध कराने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के सम्मुख रखा।


कृपाशंकर सिंह ने बताया कि यह मॉडल माननीय प्रधानमंत्री जी के "किसानों की आय दोगुनी करने" के संकल्प में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पंचायत स्तर पर सरकारी अनुदानित कंबाइन हार्वेस्टर उपलब्ध कराए जाएँ, जिन्हें किसानों को अत्यंत नाममात्र शुल्क पर अथवा भारी सब्सिडी पर उपयोग के लिए दिया जाए। इन हार्वेस्टर्स का संचालन स्थानीय पंचायतों अथवा किसान उत्पादक संगठन (FPOs) के माध्यम से किया जा सकता है, जिससे पारदर्शिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित होगी।

किसानों और राज्य को होने वाले प्रमुख लाभ:

1. लागत में भारी कमी:

फसल की कटाई पर विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों की कुल उत्पादन लागत का एक बड़ा भाग खर्च होता है। यह योजना इस खर्च में 40–50% तक की कमी ला सकती है।

उदाहरण के लिए:

वर्तमान में निजी हार्वेस्टर से एक बीघा की कटाई का शुल्क ₹1200 है,

जबकि ईंधन लागत ₹200 होती है। और समय मात्र 10 मिनट लगता है।

यदि सरकार ₹400 नाममात्र शुल्क पर सेवा देती है,

तो एक किसान को प्रति बीघा ₹800 तक की सीधी बचत हो सकती है।

सरकार को ईंधन व रखरखाव की लागत भी वसूल हो जाती है,

और यह मॉडल आर्थिक रूप से टिकाऊ बनता है।

2. समय पर कटाई:

स्थानीय हार्वेस्टर उपलब्ध होने से किसानों को समय पर फसल कटाई का लाभ मिलेगा, जिससे बारिश या श्रमिकों की कमी से फसल नुकसान नहीं होगा।

3. लाभ में वृद्धि:

महंगे निजी साधनों पर निर्भरता कम होने से प्रति एकड़ शुद्ध लाभ में वृद्धि होगी।


4. ग्रामीण रोजगार एवं कौशल विकास:

स्थानीय युवाओं को हार्वेस्टर संचालन और मरम्मत के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, जिससे रोजगार सृजन और कौशल विकास होगा।


5. प्रधानमंत्री जी के विज़न के अनुरूप:

यह योजना माननीय प्रधानमंत्री जी की "किसानों की आय दोगुनी करने" की महत्वाकांक्षी योजना को बल प्रदान करती है।


6. पर्यावरणीय लाभ:

आधुनिक मशीनें सटीक कटाई में मदद करती हैं, जिससे फसल अपव्यय कम होता है और सतत कृषि को प्रोत्साहन मिलता है।

दीर्घकालीन प्रभाव:

जब किसानों की लागत कम होगी, तो वे बेहतर बीज, उर्वरक और कृषि तकनीकों में निवेश कर पाएँगे। इससे उत्पादन, आय और जीवन स्तर में सुधार होगा तथा कृषि एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में विकसित होगी।

प्रस्तावित कार्यान्वयन मॉडल:

प्रत्येक पंचायत में प्रारंभिक चरण में एक हार्वेस्टर

संचालन: स्थानीय पंचायत समिति या FPO के माध्यम से

डिजिटल बुकिंग सिस्टम – पारदर्शिता और समान उपयोग के लिए

प्रारंभिक 3 वर्षों तक राज्य सरकार द्वारा संचालन हेतु सहायता

अतिरिक्त सुझाव:

1. लागत आकलन:

हार्वेस्टर की खरीद, संचालन व रखरखाव की विस्तृत लागत रिपोर्ट

लीज या बाय-बैक मॉडल पर विचार करें

2. वित्तीय मॉडल:

इसे निम्न योजनाओं से जोड़ा जा सकता है:

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)

मनरेगा (प्रशिक्षण व संचालन हेतु रोजगार)

पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल

3. पायलट प्रोजेक्ट:

प्रारंभिक चरण में 3–5 ज़िलों में पायलट परीक्षण

अनुभव के आधार पर राज्यभर में विस्तार

4. निगरानी एवं पारदर्शिता: 

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म या मोबाइल ऐप विकसित करें, जिससे:

हार्वेस्टर बुकिंग

अनुरक्षण विवरण

किसान प्रतिक्रिया और शिकायत निवारण

पंचायत स्तर की रिपोर्टिंग सुनिश्चित हो सके

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